बिहार में बीते कुछ महीनों में आपराधिक घटनाओं में जिस तरह से बढ़ोतरी हुई है, उसने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पटना समेत राज्य के विभिन्न जिलों में लगातार हत्याएं, फायरिंग और आपराधिक वारदातों की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि अपराधियों में पुलिस का कोई खौफ नहीं बचा है। राजधानी पटना में शुक्रवार देर रात चर्चित कारोबारी गोपाल खेमका की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोपियों ने खेमका को सिर पर पिस्तौल सटाकर गोली मारी, जिससे स्पष्ट होता है कि अपराधी पुलिस से कितने बेखौफ हैं। इससे पहले पटना में ही मंत्री अशोक चौधरी के आवास के बाहर भी एक युवक पर फायरिंग की गई थी। वीआईपी इलाके में हुई इस घटना के बाद प्रशासन जरूर सतर्क हुआ, लेकिन अपराधियों की गतिविधियों पर लगाम नहीं लग सका।
राज्य के अन्य जिलों की बात करें तो बक्सर में जमीन विवाद को लेकर एक ही परिवार के तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि दो अन्य लोग घायल हुए। वहीं, मुजफ्फरपुर में समाजसेवी संजय चौधरी की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिससे इलाके में दहशत फैल गई। इसी तरह बेगूसराय में ज्वेलरी कारोबारी की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, जिसका शव कुछ दिनों बाद बरामद हुआ।
इन घटनाओं से साफ है कि राज्य में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और पुलिस-प्रशासन की नाकामी के चलते आम जनता से लेकर कारोबारी तक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। लगातार हो रही इन घटनाओं ने न केवल सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि आम लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल भी पैदा कर दिया है।
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