लंदन में पली-बढ़ी बांग्लादेशी मूल की मुस्लिम महिला अंबिया बानो ने सोमवार को धर्म नगरी काशी में मां गंगा के किनारे हिन्दू धर्म को अपना लिया। अंबिया बानो को नया नाम अंबिया माला रखा गया है। अंबिया ने सनातन धर्म में आस्था दिखाते हुए अपने गर्भ में मारी गई बेटी के मुक्ति के लिए विधिवत पिंडदान भी किया। दशाश्वमेधघाट पर पिंडदान काशी के प्रख्यात पुरोहितों के सानिध्य में पांच वैदिक ब्राह्मणों ने सम्पन्न कराया। पिंडदान का कर्मकांड आरंभ होने से पहले सामाजिक संस्था आगमन संस्थापक सचिव डॉ. संतोष ओझा ने गंगा स्नान कराकर सनातन धर्म को स्वीकारने का आह्वान किया। पंचगव्य ग्रहण करा उनकी आत्मशुद्धि कराई। सनातनी बनने के बाद उनका नाम अंबिया बानो से अंबिया माला रखा। अंबिया ने गर्भ में मारी गई अपनी बेटी की मोक्ष के कामना से वैशाख पूर्णिमा को अपराह्न काल में शांति पाठ भी कराया। श्राद्ध कर्म की शुरुआत आचार्य पं. दिनेश शंकर दुबे ने कराया। सहयोग में पं. सीताराम पाठक, कृष्णकांत पुरोहित, रामकृष्ण पाण्डेय और भंडारी पाण्डेय ने श्राद्ध कर्म कराया।
ईसाई नेविल से हुआ था विवाह
डॉ. संतोष ओझा ने बताया कि लंदन में पली- बड़ी 49 वर्षीय अंबिया माला श्रीरामपुर, सुनामगंज, सिहेत, बंगलादेश की मूल निवासी थी। लंदन में उनका विवाह ईसाई धर्म को मानने वाले नेविल बॉरन जूनियर से हुआ था। अंबिया से विवाह करने के लिए नेवल बार्न ने इस्लाम स्वीकार किया था। विवाह के करीब एक दशक बाद नेवल से उनका तलाक भी मुस्लिम पद्धति के अनुरूप हुआ।
बेटी सपने में करती थी मुक्ति की बात
अंबिया ने पत्रकारों को बताया कि पिछले कुछ वर्षों से उसकी बेटी सपने में आकर उससे अपनी मुक्ति की बात करती थी। इसके बाद तमाम संचार मीडिया के माध्यम से काशी के विषय में जाना और सामाजिक संस्था आगमन को सर्च किया और सम्पर्क साधा। इस अनुष्ठान के बाद अंबिका न केवल खुश है बल्कि सनातन धर्म में आने को यह घर वापसी बताती है । बकौल माला सनातन धर्म में सुख-शांति और सबके कल्याण की बातें प्रमुख हैं।