इसरो (ISRO) के चेयरमैन वी. नारायणन का यह बयान भारत की रक्षा और रणनीतिक आत्मनिर्भरता के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण और दूरदर्शी है। जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है, तब देश की सीमाओं और समुद्री इलाकों की चौबीसों घंटे निगरानी करने वाले उपग्रहों की भूमिका और भी रणनीतिक रूप से अहम हो जाती है।
इसरो चेयरमैन वी. नारायणन के मुख्य बयान:
- 10 रणनीतिक उपग्रह 24×7 निगरानी में सक्रिय हैं।
- भारत के 7,000 किलोमीटर लंबे समुद्री क्षेत्र की सतत निगरानी आवश्यक है।
- ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक के बिना रक्षा और सुरक्षा असंभव।
- छात्रों और युवा वैज्ञानिकों को राष्ट्र सेवा की भावना से प्रेरित होने की आवश्यकता।
भारत की वर्तमान उपग्रह क्षमताएँ:
- कुल 127 भारतीय उपग्रह लॉन्च किए गए हैं (ISRO + निजी + शैक्षणिक संस्थान)।
- इनमें से:
- 22 लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में
- 29 जियो-सिंक्रोनस ऑर्बिट में
- करीब 12 निगरानी/स्पाई सैटेलाइट सक्रिय हैं, जैसे:
- CartoSat Series
- RISAT Series
- EMISAT
- Microsat Series
भविष्य की योजनाएं:
- अगले 5 वर्षों में 52 नए निगरानी उपग्रह लॉन्च किए जाएंगे।
- यह क्षमता भारत की:
- सीमाओं पर दुश्मन की गतिविधियों पर निगरानी
- समुद्री सुरक्षा
- सैन्य अभियानों में रीयल-टाइम इंटेलिजेंस और समन्वय में सहायक होगी।
- निजी कंपनियों की भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे रक्षा क्षेत्र में “Make in India” को बल मिलेगा।
18 मई को EOS-09 (RISAT-1B) लॉन्च:
- यह एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है।
- सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (SSO) में स्थापित किया जाएगा।
- इसका उद्देश्य: घने बादलों, रात या प्रतिकूल मौसम में भी निगरानी कर सकना।
- यह भारत की सीमाओं पर “ऑल वेदर, ऑल टाइम” निगरानी क्षमता को बढ़ाएगा।
बड़ी दृष्टि: भारत @100
- नारायणन ने कहा कि आजादी के 100 वर्ष (2047) तक भारत हर क्षेत्र में “महारथी” बनेगा।
- इसरो पूर्वोत्तर भारत में भी विकास और परियोजनाओं के लिए उपग्रह सेवाएं दे रहा है।
इस समय जब सीमा पर तनाव है, इसरो की भूमिका केवल वैज्ञानिक संस्था की नहीं, बल्कि एक रणनीतिक रक्षा साझेदार की है। उपग्रह अब सिर्फ मौसम और दूरसंचार तक सीमित नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति के मूल स्तंभ बन चुके हैं।