लव जिहाद की बढ़ती घटनाओं के बीच उत्तराखंड पुलिस को कुछ और इनपुट मिले हैं, जिसके बाद एडीजी लॉ एंड ऑर्डर डॉ वी मुरुगेशन ने सभी जिलों से एक खास रिपोर्ट तलब की है। रिपोर्ट में ये जानकारी देने को कहा है कि 2018 से अबतक कितनी हिंदू लड़कियों का अपहरण हुआ और इस मामले में क्या-क्या कार्रवाई हुई? कुछ लड़कियों की गुमशुदगी के मामले भी दर्ज हुए और इनका वर्तमान में क्या स्टेट्स है?
एडीजी मुरुगेशन ने बताया कि ऐसे अपहरण मामलों में विवाद पैदा हुए तो इनकी दोबारा जांच कराई जा रही है और हमें ये देखना है कि इनमें धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम का उल्लंघन तो नहीं किया गया? उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की शिकायतें आई हैं और इनकी पुनः विवेचना करवाई जाएगी। उत्तराखंड में बीजेपी सरकार ने 2018 में धार्मिक स्वतंत्रता कानून बनाया था जिसे 2022 में धामी सरकार ने और कड़ा कर दिया। जिसमें भारी जुर्माना, 10 साल की कड़ी सजा और सरकारी सुविधाओं से वंचित किए जाने का प्रावधान किया गया है।
जानकारी के मुताबिक ऐसे कई मामलों की शिकायत सामने आई है, जिसमें हिंदू लड़कियों का अपहरण किया गया। इनमें नाबालिग लड़कियां भी शामिल हैं, जिनका निकाह हो गया या जबरन करवाया गया या फिर इनपर दबाव डाला गया, लेकिन इन मामलों में धर्मांतरण कानून नहीं लगाया गया। पुलिस मुख्यालय ने ऐसे इनपुट मिलने के बाद सभी जिला पुलिस प्रमुखों को जांच कर सूचना भेजने के लिए कहा है। माना जा रहा है एडीजी मुरुगेशन इन मामलों की जांच के लिए एक एसआईटी गठित कर रहे हैं। यदि जांच में ऐसे विषय सामने आए तो पुलिस-प्रशासन इस ओर सख्त कार्रवाई करने जा रहा है। जानकारी के मुताबिक पिछले साल लव जिहाद के 70 से अधिक मामले सामने आए थे। 2018 से अभी तक 18 मामले ऐसे हैं, जिनमें हिंदू लड़कियों का कन्वर्जन करा दिया गया है। इनको लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगे हैं। इनमें भी ज्यादातर मामले देहरादून जिले से बताए जा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक पुरोला में हुई लव जिहाद की घटना के बाद उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में हिंदू लड़कियों के अपहरण या गुमशुदगी के मामलो में दर्ज मामलों में पुलिस की लापरवाही या कहें खानापूर्ति की बात सीएम पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में आई। इस पर सीएम ने पुलिस के अधिकारियों से पूछा कि आखिर इन पर धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यदि कानून सख्ती से लागू होगा तभी ऐसी घटनाएं करने का कोई साहस नहीं करेगा।