जब अंग्रेज भारत में शासन कर रहे थे तो एक पंक्ति बहुत ही कुख्यात थी, कि भारतीय और कुत्तों का प्रवेश वर्जित है, और कोई इस अपमानजनक पंक्ति की कल्पना भी नहीं कर सकता है। फिर भी वह एक दूसरी संस्कृति का एक-दूसरे धर्म और संस्कृति के प्रति खीज और घृणा का प्रदर्शन था।
परन्तु क्या कभी इस बात की भी कल्पना की गई है, कि कोई एक ही तहजीब का वर्ग अपनी ही तहजीब के एक वर्ग के प्रति यह कहे कि “कुत्ते और अफगानियों का आना मना है!” और वह भी भारत जैसा कोई सेक्युलर देश नहीं बल्कि पाकिस्तान जैसा इस्लामी देश! अभी अफगानिस्तान के सुन्नी मुस्लिमों द्वारा ईरान के प्रति यह समाचार आया था, कि सुन्नी होने के नाते उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है और यदि रोजगार के अवसर होते भी हैं तो भी उन्हें नहीं दिए जा रहे हैं।
अफगानिस्तान से ईरान गए शरणार्थी ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए टोलो न्यूज से कहा था कि यदि कोई रोजगार का अवसर आता भी है तो भी मजहबी कारणों से या फिर सुन्नी और अफगानी होने के नाते, हमें काम नहीं मिलता। और अगर किसी काम के लिए चुना भी जाता है तो उन्हें बहुत भारी काम दिया जाता है।
यह ईरान की स्थिति है, हालांकि यह भी कहा जा रहा है, कि वहां पर इतने अधिक अफगानिस्तानी पहुंच गए हैं, कि काम की कमी है।
यह तो फिर भी सुन्नी और शिया की बात है, परन्तु सुन्नी बहुल पाकिस्तान में, जहां पर शिया, अहमदिया सभी को गैर मुस्लिम माना जाता है, वहां पर अफगानिस्तानियों के लिए क्या कहा जा रहा है या उनके साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है, वह समय समय पर सामने आता ही रहता है, परन्तु यह असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा ही होगी जिसमें यह लिखा जाए कि “कुत्तों और अफगानिस्तानियों का आना मना है!” सीएनएस न्यूज 18 के अनुसार उनसे बात करते हुए अफगानी एक्टिविस्ट्स ने कहा कि शरणार्थियों को उचित भोजन एवं आवास नहीं दिए जा रहे हैं, और जिन्हें किसी न किसी काम के लिए पंजीकृत भी किया गया है, उन्हें भी दैनिक वेतन नहीं दिया जा रहा है। अफगानी शरणार्थियों के लिए कोई कल्याणकारी योजना भी नहीं है।
एक्टिविस्ट्स ने यह भी दावा किया कि उनके साथ जानवरों से भी बुरा व्यवहार किया जा रहा है और इस्लामाबाद पुलिस का आदेश भी उन्होंने दिखाया, जिसमें लिखा था कि “रेड जोन में कुत्ते और अफगानिस्तानियों का आना मना है!”
पाकिस्तान में अफगानिस्तानियों के साथ हो रहे बुरे बर्ताव को लेकर समय-समय पर और भी समाचार आते रहते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि लगभग 800 अफगानिस्तानी जेल में बंद हैं और 1100 को वापस भेज दिया गया है।
अफगानी शरणार्थियों ने पाकिस्तानी पुलिस की पूछताछ पर प्रश्न उठाते हुए, यह तक कहा कि उनके साथ पुलिस द्वारा अपशब्द कहे जाते हैं, और गलत व्यवहार किया जाता है।
यह पाकिस्तान की बात थी तो वहीं यह भी समाचार निकल कर आ रहा है, कि ईरान और तुर्किये की सीमा पर उन अफगानिस्तानी नागरिकों के साथ अत्याचार हो रहे हैं, जो यूरोप जाना चाहते हैं। तालिबानियों से बचकर अपनी जान बचाकर भागने वाले अफगानी नागरिकों को बंधक बनाया जा रहा है, उनसे फिरौती मांगी जा रही है, और भी कई अत्याचार उन पर किए जा रहे हैं। यह अत्याचार उन पर कोई काफिर नहीं कर रहा है, बल्कि यह अत्याचार भी उन पर ईरान और तुर्किये की सीमा पर किए जा रहे हैं, जो दोनों ही इस्लामिक देश हैं। बीबीसी के अनुसार कई आदमियों के साथ यौन कृत्य करके उनके वीडियो बनाए जा रहे हैं। एक वीडियो में एक आदमी यह भी कहता हुआ सुना जा रहा है, कि उसके साथ यह न किया जाए। वह कह रहा है कि उसका भी परिवार है, बीवी है और बच्चे हैं। मगर उसके बाद उसके साथ यौन कृत्य करते हुए फिल्म बनाई जाती है।