हज समूह आयोजकों के पंजीकरण पर रोक लगाने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि यह मामला सात जुलाई को हाई कोर्ट के समक्ष आ रहा है और इसके सभी मुद्दों पर गौर किया जा सकता है।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि अगर तीर्थयात्रियों को अपराधी हज समूह आयोजकों (HGO) के साथ बुक किया जाता है, तो उन्हें बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर ये एचजीओ मानक के अनुरूप नहीं हैं, तो तीर्थयात्रियों को सऊदी अरब में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
हज समूह आयोजकों के पंजीकरण प्रमाणपत्रों और कोटा के निलंबन पर रोक लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि मुसलमानों के लिए हज केवल एक छुट्टी नहीं है, बल्कि उनके धर्म और विश्वास का पालन करने का एक माध्यम है,जो एक मौलिक अधिकार है।
हज समूह आयोजक जो तीर्थयात्रियों के लिए टूर ऑपरेटर के रूप में कार्य करते हैं, उनके पंजीकरण प्रमाणपत्रों और कोटा को पिछले महीने केंद्र द्वारा आस्थगित रखा गया था। इन्हें विभिन्न आधारों पर अपात्र पाया गया था। इसमें तथ्यों की जानबूझकर गलत बयानी भी शामिल था, जिसके आधार पर वे पहले एचजीओ के रूप में पंजीकृत थे।
हाई कोर्ट ने 7 जून को ऐसे 13 से अधिक एचजीओ की याचिकाओं पर सुनवाई की थी। यह सुनवाई उन तीर्थयात्रियों से संबंधित हैं जो हज पर यात्रा करने जा रहे थे और सऊदी अरब में मक्का और आसपास के पवित्र स्थानों की पांच दिवसीय धार्मिक यात्रा के लिए याचिकाकर्ताओं को अग्रिम भुगतान कर चुके थे।
हाई कोर्ट ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि टूर ऑपरेटरों की कथित चूक के कारण तीर्थयात्रियों को परेशानी न हो और वे बिना किसी बाधा के यात्रा करने में सक्षम हों। केंद्र द्वारा 25 मई 2023 को जारी हज-2023 के लिए हज कोटे का आवंटन शिकायत संबंधी मामले में कार्यवाही को अंतिम रूप देने तक पंजीकरण प्रमाण पत्र और कोटे पर रोक लगा दी गई है।
पीठ ने स्पष्ट किया था कि अधिकारी याचिकाकर्ताओं को उनकी कथित चूक के लिए जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के अनुसरण में जांच को आगे बढ़ा सकते हैं।
केंद्र ने अदालत से कहा था कि उसे किसी भी नियम और शर्तों का पालन न करने की स्थिति में एचजीओ के पंजीकरण को निलंबित या रद्द करने का अधिकार है और वह तीर्थयात्रियों को संकट में डालने का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। इसमें यह भी कहा गया था कि कानून का गंभीर उल्लंघन करते हुए तीर्थयात्रियों को सऊदी अरब ले जाने की अनुमति देना दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय समझौते को खतरे में डालना है।
अदालत ने कहा कि हालांकि पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने और याचिकाकर्ता को कोटा आवंटन जारी करने पर प्रतिबंध और शर्तें लगाई जा सकती हैं, लेकिन इसे ‘तीर्थयात्रियों के खिलाफ नहीं रखा जाना चाहिए’ जिन्होंने नेकनीयती से ऐसी संस्थाओं के साथ तीर्थ यात्रा करने के लिए पंजीकरण कराया था। बता दें, 2023 के लिए, 1,75,025 तीर्थयात्रियों को सऊदी अरब द्वारा भारत को आवंटित किया गया है, जिसमें एचजीओ के लिए 35,025 शामिल हैं।