संसद के मानसून सत्र की शुरुआत 17 जुलाई से होने की उम्मीद है. सूत्रों के मुताबिक, 10 अगस्त तक सत्र चल सकता है.संसद सत्र को लेकर जल्द ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली सीसीपीए की बैठक होगी जिसमें सत्र की तारीखों पर मुहर लगेगी. संसद की इस बार की कार्यवाही भी काफी हंगामेदार हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ दिल्ली सरकार में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर लाए गए अध्यादेश पर चर्चा होगी तो दूसरी ओर कॉमन सिविल कोड को लेकर दिए गए बयानों विपक्ष हंगामा काट सकता है.
सूत्रों की मानें तो इस बार बैठकें संसद के नए भवन होंगी. हालांकि, नया भवन तैयार तो हो चुका है लेकिन फिनिशिंग टच देने का काम चल रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि सत्र शुरू होने से पहले कामों को पूरा कर लिया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से इस साल 28 मई को ही नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया है. उद्घाटन के बाद से इस बात की संभावना और बढ़ गई है कि मानसून सत्र नए भवन में ही चलेगा.
इस बार के मानसून सत्र में दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश का मुद्दा छाया रहेगा. केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए यह अध्यादेश लेकर आई है. मानसून सत्र में इस अध्यादेश पर चर्चा होनी है. अध्यादेश में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने की बात कही है.
केजरीवाल अध्यादेश को बता चुके हैं गैरकानूनी
दूसरी ओर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के अध्यादेश को गैरकानूनी, गैर संवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए राज्यसभा में इसे रोकने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं से मिलकर समर्थन मांगा है. केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली सरकार के खिलाफ यह एक प्रकार का प्रयोग है. अगर यह सफल रहा तो केंद्र सरकार गैर बीजेपी शासित राज्यों के अधिकारों को कम करने के लिए कदम उठा सकती है.
उठ सकता है कॉमन सिविल कोड का मुद्दा
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से समान नागरिक संहिता को लेकर दिए बयान पर भी संसद के मानसून सत्र में हंगामा देखने को मिल सकता है. पीएम ने मंगलवार को भोपाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर कुछ लोग मुसलमान भाई-बहनों को भड़काने का काम कर रहे हैं.