महाराष्ट्र की राजनीति पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से लगातार अप्रत्याशित मोड़ ले रही है. राज्य की सत्ता को लेकर यहां कभी बेमेल गठबंधन हुए तो कभी सियासी छल-प्रपंच की ऐसी कहानियां देखने को मिली जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. शिव सेना के बाद एनसीपी के अंदरखाने चल रहा बवाल खत्म नहीं हुआ है. इस बीच शिवसेना (यूबीटी) ने कहा है कि शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवेश के साथ, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अपनी उपयोगिता समाप्त हो गई है इसलिए महाराष्ट्र को जल्द ही एक नया सीएम मिलेगा. सेना (यूबीटी) सांसद और मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि पहले से ही 170 विधायकों के बहुमत वाली सेना-भाजपा सरकार में लगभग 40 एनसीपी विधायकों को शामिल करना “आम जनता की समझ से परे है”.
राउत ने कहा, ‘यह काफी अपेक्षित था लेकिन शिंदे और उनके समर्थकों के लिए इसका मतलब यह है कि ‘अब आपकी जरूरत नहीं है’. मैं दोहराता हूं – राज्य को निश्चित रूप से जल्द ही एक नया सीएम मिलेगा.’ इससे पहले पिछले रविवार को ही राउत ने कह दिया था कि अब शिंदे की कुर्सी खतरे में है. मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा, कैसे अजीत पवार, छगन भुजबल के कथित उत्पीड़न से तंग आकर शिंदे ने शिवसेना से विद्रोह कर दिया था, और भाजपा से हाथ मिलाने के लिए पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार को गिरा दिया था.
राउत ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘अब शिंदे को उन्हीं एनसीपी नेताओं के साथ सरकार में काम करना होगा.’ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि अजित पवार के समूह के शामिल होने से शिंदे खेमा हताश हो गया है (“न घर का, न घाट का”) और इसके लिए केवल वही (शिंदे) दोषी हैं. राउत ने उन लोगों पर हमला बोला, जिन्होंने अजीत पवार और अन्य लोगों द्वारा कथित उत्पीड़न का हवाला देते हुए 2022 में शिवसेना छोड़ी थी: ‘उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए’.