बता दें कि, किसी भी देश की जनसंख्या ह्यूमन रिसोर्स के तौर पर उसके लिए उपयोगी हो सकती है, पर अनकंट्रोल हो रही पॉपुलेशन उस देश के लिए परेशानी का बड़ा कारण भी बन सकती है. इसी का नतीजा है कि देश में अशिक्षा, बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी जैसे हालात भी देखने को मिल रहे हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि देश में बढ़ती जनसंख्या से निपटने के लिए संसाधनों की कमी है. अगर किसी चीज की कमी है तो वो है ‘जागरूकता’. जी हां, इस समस्या से निपटने के लिए परिवार नियोजन जैसे कई समाधान मौजूद हैं, लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी के कारण इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है. आइए जानते हैं क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस, कैसे रुक सकती है जनसंख्या और क्या है इसबार की थीम.
वर्ल्ड पॉपुलेशन डे मनाने की वजह
11 जुलाई 1989 को यूनाइटेड नेशन ने एक सभा का आयोजन कर ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाने का फैसला लिया था. बताते चलें कि, 11 जुलाई 1987 तक वर्ल्ड पॉपुलेशन का आंकड़ा 5 अरब पार पहुंच चुका था. तब दुनियाभर के लोगों को बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए इसे वैश्विक स्तर पर मनाने का फैसला लिया गया था. इस दिन को मनाने की मुख्य वजह यही है बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए, ताकि गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी जैसे हालातों बचा जा सके.
क्या है इसबार की थीम
देशभर में बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल इसे एक थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम- ‘एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना जहां 8 अरब लोगों का भविष्य आशाओं और संभावनाओं से भरपूर हो’ तय की गई है.
किस तरह मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस
दुनियाभर में विश्व जनसंख्या दिवस पर पॉपुलेशन कंट्रोल करने के लिए कई नियमों से लोगों को परिचित कराया जाता है. इसके अलावा जेंडर इक्वलिटी, मां और बच्चे का स्वास्थ्य, जेंडर एजुकेशन, गर्भनिरोधक दवाओं के इस्तेमाल से लेकर यौन संबंध जैसे गंभीर विषयों पर लोगों से खुलकर बात की जाती है. इस दिन जगह-जगह जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है. कई जगहों पर सम्मेलन भी आयोजित किए जाते हैं, ताकि लोगों में जागरूकता लाई जा सके.