भारत और अमेरिका के बीच मास्टर शिपयार्ड मरम्मत समझौता (एमएसआरए) दोनों देशों के बीच साझेदारी में एक और मील का पत्थर है। चेन्नई में अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास ने सोमवार को कहा कि यह सौदा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगा और स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक में योगदान देगा। समझौते के बाद पहला अमेरिकी जहाज चेन्नई के कट्टुपल्ली बंदरगाह पहुंच चुका है।
भारत-अमेरिका के रिश्ते को मिलेगी अधिक मजबूती
चेन्नई में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के जनरल जूडिथ रविन ने कहा, “मास्टर शिपयार्ड रिपेयर एग्रीमेंट (एमएसआरए) हमारी लगातार बढ़ती यूएस-भारत साझेदारी में एक और मील का पत्थर है। यह ऐतिहासिक समझौता 2022 यूएस-भारत 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता का प्रत्यक्ष परिणाम है और मरम्मत सुविधाओं का उपयोग करने के लिए कट्टुपल्ली में एल एंड टी शिपयार्ड में नियमित आधार से अमेरिकी प्रतिबद्धता को जाहिर करता है। यह समझौता हमारे दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और एक स्वतंत्र तथा खुले इंडो-पैसिफिक में योगदान करने में मदद करेगा।”
समझौते के बाद आने वाला पहला शिप है नेवी शॉप साल्वर
अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी’ एक वैश्विक शांति और सुरक्षा स्तंभ के रूप में उभरी है। अमेरिकी नौसेना का जहाज साल्वर मरम्मत के लिए लार्सन एंड टुब्रो पोर्ट कट्टुपल्ली पहुंचा और चेन्नई में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने जहाज का स्वागत किया। पिछले महीने अमेरिकी नौसेना ने जहाज की मरम्मत के लिए एल एंड टी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद यूएस नेवी शॉप साल्वर मरम्मत के लिए आने वाला पहला जहाज है। दोनों देश भारत में विमानों और जहाजों के लिए रसद, मरम्मत और रखरखाव के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हैं।
MSRA मजबूत अमेरिका-भारत साझेदारी का प्रतीक
अमेरिकी नौसेना जहाज के स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए रविन ने कहा कि एमएसआरए मजबूत अमेरिका-भारत साझेदारी का प्रतीक है। चेन्नई में अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास ने कहा, “आज का दिन भारतीय अमेरिकी समुद्री सहयोग में एक और कदम आगे बढ़ने का प्रतीक है। एल एंड टी के साथ किया गया समझौता दर्शाता है कि कैसे अमेरिकी नौसेना और भारतीय कंपनियां हमारी सामूहिक समुद्री सुरक्षा की प्रगति के लिए एक साथ होकर बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।”
खास मिशन के लिए है यूएसएनएस साल्वर
यूएसएनएस साल्वर के बारे में जानकारी देते हुए, अमेरिकी दूतावास नई दिल्ली के रक्षा सहयोग कार्यालय के प्रमुख कैप्टन माइकल एल फार्मर ने बताया, “जहाज का मिशन वस्तुतः डूबे हुए जहाजों को बचाना, बंदरगाहों को फिर से खोलना है। यह जहाज, उसका चालक दल और उसके गोताखोरों का समूह जहाजों को नीचे से ऊपर ला सकता है और मलबे को साफ कर सकता है।