पहलवानों बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को एशियन गेम्स में ट्रायल के बिना ही डायरेक्ट एंट्री दिए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विशाल कालीरमन और अंतिम पंघाल जैसे पहलवानों ने IOA के इस फैसले पर दर्द बयाँ करते हुए पूछा था कि क्या बाकी खिलाड़ी पहलवानी छोड़ दें? अब ये मामला दिल्ली उच्च न्यायालय पहुँच गया है। महिला पहलवान अंतिम पंघाल और पहलवान सुजीत कलकल ने इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
इन दोनों ने बजरंग पूनिया और उनकी साली विनेश फोगाट को एशियन गेम्स में डायरेक्ट एंट्री दिए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद ने इस केस पर सुनवाई की। WFI (भारतीय कुश्ती संघ) को निर्देश दिया है कि वो इस प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया गुरुवार (20 जुलाई, 2023) को ही दे और शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई होगी। एशियन गेम्स 23 सितंबर से चीन से हानझोउ में होने वाला है।
दोनों पहलवानों ने अपनी याचिका में माँग की है कि एक स्वच्छ प्रक्रिया से सभी खिलाड़ियों का ट्रायल लिया जाए और किसी को डायरेक्ट एंट्री न मिले। साथ ही ट्रायल की वीडियोग्राफ़ी करने का बभी निवेदन किया गया है। जज ने WFI से पूछा कि बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को ट्रायल में छूट दिए जाने के पीछे उनके अच्छे खिलाड़ी होने के अलावा बाकी आधार क्या हैं? उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने उन दोनों खिलाड़ियों की प्रतिभा पर सवाल नहीं खड़े किए हैं, बल्कि उनका कहना है कि पहले के परफॉर्मेंस के आधार पर किसी को प्राथमिकता न मिले।
उन्होंने कहा कि अगर उन्हें लगेगा कि सेलेक्शन की प्रक्रिया न्यायसंगत है और इसके पीछे उचित कारण बताए जाएँगे, तब दिल्ली हाईकोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा। इस मामले में ओलंपिक मेडलिस्ट पहलवान रहे योगेश्वर दत्त ने भी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि कुश्ती की बहुत बदनामी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि IOA की कमिटी ने सीधे रूप से बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट का नाम नहीं लिया है, बल्कि वो कन्फ्यूजन क्रिएट कर रहे हैं कि ये 2 पहलवान कौन हैं, सबको पता है लेकिन वो नाम नहीं बता रहे।