हल्द्वानी तराई पूर्वी वन प्रभाग में गौलापार के बागजाला क्षेत्र में 104 हेक्टेयर वन भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर विभाग के अधिकारियों द्वारा पुलिस के काठगोदाम थाने रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है। ये जमीन 1978 में तीस साल की लीज पर स्थानीय लोगों को वन कार्यों के लिए दी थी। जानकारी के मुताबिक 64 लोगों को 30 साल के लिए 67 हेक्टेयर वन भूमि लीज पर दी गई थी। 2008 में लीज समाप्त हो गई। नियमानुसार लीज धारकों को जमीन खाली कर देनी चाहिए थी। ये जमीन वनीकरण के कार्यों के लिए दी गई थी। हाल ही में जब वन विभाग द्वारा अतिक्रमण करने वालों का सर्वे किया गया। तब ये मामला उजागर हुआ और ये भी पता चला कि करीब 37 हेक्टेयर भूमि और भी वहां लोगों ने कब्जा ली है। यानि कुल 104 हेक्टेयर बेशकीमती भूमि अवैध कब्जेदारों के अधीन है।
ये अवैध कब्जे वन विभाग के सर्वे में और भी चर्चित हुए जब उत्तराखंड हाई कोर्ट के हल्द्वानी गौलापार में शिफ्ट होने की बात सामने आई। हाई कोर्ट को वन भूमि को जमीन आवंटित देने की प्रक्रिया में जीपीएस नक्शे बनाने के दौरान वन अधिकारियों की नींद टूटी। बताया जाता है कि वन भूमि की लीज 2008 में समाप्त हो गई है और इसके बाद से यहां 500 रुपए के स्टांप पेपर पर उक्त भूमि की खरीद फरोख्त का धंधा शुरू हुआ है। वन विभाग ने इस बारे में 10 लोगों के खिलाफ काठगोदाम पुलिस थाने में एफआईआर भी दर्ज करवाई है।
बागजाला वन भूमि पर अतिक्रमण के बारे में जब वन विभाग के अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डॉ पराग धकाते से पूछा गया कि इस पर वन विभाग क्या कार्रवाई कर रहा है तो उनका कहना है कि हमने इस अतिक्रमण को चिन्हित किया है। सेटेलाइट के माध्यम से पुराने नए चित्र निकाले गए हैं। अतिक्रमण करने वालों को भी चिन्हित किया जा रहा है। इन्हें हटाने के लिए डीएफओ के साथ-साथ नैनीताल डीएम और टास्क फोर्स कमेटी को भी पत्र जारी कर दिया गया है। ये अतिक्रमण बेहतर यही है कि लोग खुद खाली कर दें, अन्यथा बल पूर्वक खाली करवाया जाएगा।