दक्षिण अफ्रीका के जोहानीसबर्ग शहर में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों यानी एनएसए की 24 से 26 जुलाई तक चलने वाली बैठक में भारत ने विश्व के सामने मौजूद संकटों पर अपनी सोच दृढ़ता से रखी। इस बैठक में भारत के एनएसए अजित डोवल भी उपस्थित हैं। कल उन्होंने पूरी दृढ़ता से वैश्विक संकटों को लेकर भारत की सोच साझा की बल्कि भारत को चीन की तरफ से आ रही दिक्कतों की भी चर्चा की।
डोवल ने सम्मेलन से इतर चीन के वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता वांग यी से विशेष भेंट की। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष आपसी रणनीतिक भरोसा बढ़ाने पर काम करें तो समाधान निकाला जा सकता है। भारत के एनएसए ने यह भी कहा कि आम सहमति तथा सहयोग पर गौर करना जरूरी है, इसके लिए पहले द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया जाए।
अभी कुछ ही दिन पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित एक सम्मेलन में कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइना की सेंट्रल कमेटी के विदेश प्रकोष्ठ के निदेशक वांग यी से भेंट की थी। दोनों देशों के मध्य गलवान संघर्ष के दिनों से चले आ रहे सीमा विवाद को लेकर भी बात हुई थी। अब ब्रिक्स एनएसए सम्मेलन के मौके नी वांग यी ने डोवल से भारत—चीन के बीच संबंधों में स्थिरता लाने की बात की। इस पर भारत के एनएसए डोवल ने भी कहा कि सीमा विवाद को सुलझाने से दोनों देशों का हित जुड़ा है।
उल्लेखनीय है कि भारत का इस संदर्भ में यही तर्क रहा है कि सीमा पर शांति लाए बिना दोनों देशों के बीच रिश्ते पटरी पर नहीं आ सकते। कल भी दोनों देशों के सुरक्षा से जुड़े वरिष्ठ राजनयिकों की बातचीत में डोवल ने जहां आपस में रणनीतिक भरोसे को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया वहीं यह भी कहा कि सहमति तथा सहयोग पर गौर करके बाधाओं को दूर करना पहली जरूरत है। डोवल का कहना है कि संबंधों को जल्दी से जल्दी मजबूती देते हुए विकास की ओर ले जाया जाना चाहिए। चीन के वांग यी का कहना था कि भारत और चीन अन्य विकासशील देशों के साथ बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का लोकतंत्रीकरण करने के पक्षधर हैं। दोनों अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को अधिक न्यायोचित दिशा में ले जाने को तैयार हैं।
इस वार्ता के संदर्भ में भारत के विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति जारी की है। इसमें बताया गया है कि दोनों देशों की सीमा विवाद पर हुई बात में भारत के एनएसए ने कहा कि साल 2020 से ही भारत और चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर जो स्थिति बनी है उसने रणनीतिक विश्वास तथा रिश्ते के राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है। इस मौके पर मौजूदा स्थिति के पूरे समाधान तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना बहुत जरूरी है। इससे रास्ते की बाधाओं को दूर किया जा सकता है। दोनों देश यह बात अच्छे से जानते हैं कि भारत तथा चीन के संबंध इन दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि इस पूरे क्षेत्र तथा दुनिया के लिए भी बहुत महत्व रखते हैं।
इससे पूर्व कल ब्रिक्स बैठक में एनएसए डोवल ने कहा कि साइबर सुरक्षा से पैदा हुईं चुनौतियों को दूर करने के लिए साझा प्रयास करने होंगे। चीन के अलावा उन्होंने ब्रिक्स देशों के अपने अन्य समकक्षों तथा दोस्तों के साथ कई द्विपक्षीय बातचीत भी की। दक्षिण अफ्रीका में अगले महीने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। ब्रिक्स में सदस्य देश हैं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। यह संगठन इन देशों के आपस में हर क्षेत्र में समन्वय के लिए काम करता है।