चीन में विश्व यूनिवर्सियाड खेलों के लिए अरुणाचल प्रदेश के तीन वूशु खिलाड़ियों के वीजा पर विवाद बढ़ गया है। दरअसल, काफी समय से टालमटोल कर रहे चीन ने बुधवार को उनके लिए नत्थी वीजा जारी किया था। इस पर विरोध जताते हुए भारत ने पूरी टीम ही चेंगदू भेजने से रोक दी। एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) की वूशु टीम के अन्य पांच सदस्य 28 जुलाई से शुरू हो रहे खेलों के लिए रवाना होने देर रात दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। पर वे जहाज पर सवार नहीं हुए।
सूत्रों के मुताबिक, उच्च स्तर पर हुए फैसले के बाद उन्हें वापस जाने के लिए बोल दिया गया। चीन ने बीते सप्ताह अरुणाचल के खिलाड़ियों को वीजा देने से इनकार कर दिया था। अब ऐसे में यह बात दिलचस्प है कि नत्थी वीजा है क्या, जिसको लेकर भारत और चीन आमने-सामने है। यह नत्थी वीजा कब, कैसे और क्यों जारी किया जाता है?
"India reserves right to suitably respond…": MEA on China issuing stapled visa to Indian nationals
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— ANI Digital (@ani_digital) July 27, 2023
चीन जारी करता है नत्थी वीजा
जब किसी देश का नागरिक किसी अन्य देश की यात्रा करना चाहता है तो उस देश से अनुमति लेनी पड़ती है, जिसे वीजा कहते हैं। यानी वीजा किसी अन्य देश में एंट्री पाने की अनुमति होती है। किसी दूसरे देश के शख्स को भारत आना होता है तो यहां कई तरह के वीजा जारी किए जाते हैं, जिसमें टूरिस्ट वीजा, बिजनेस वीजा, ट्रांसिट वीजा, जर्नलिस्ट वीजा, एंट्री वीजा, ऑन अराइवल वीजा, पार्टनर वीजा शामिल हैं। जैसे अगर कोई विदेशी टूरिस्ट भारत की खूबसूरती देखने के लिए यहां आता है, तो उन्हें टूरिस्ट वीजा दिया जाता है। इसी तरह हर देश के अलग-अलग तरह के वीजा हैं और उनके अलग-अलग नियम-कानून हैं।
चीन की ओर से कई तरह के वीज के साथ-साथ नत्थी वीजा भी जारी किया जाता है। इस प्रकार के वीजा में इमिग्रेशन ऑफिसर आपके पासपोर्ट पर स्टाम्प नहीं लगाता, बल्कि अलग से एक कागज या पर्ची को आपके पासपोर्ट के साथ स्टेपल यानी नत्थी कर देता है। स्टाम्प आमतौर पर यह बताता है कि आप उनके देश किस उद्देश्य से जा रहे हैं। नत्थी वीजा में एक कागज अलग से पासपोर्ट के साथ नत्थी या यूं कहें लगा दिया जाता है। इस कागज पर आपके द्वारा उस देश की यात्रा करने का उद्देश्य लिखा होता है। इमिग्रेशन ऑफिसर उस कागज पर स्टाम्प लगाते हैं। इसे ही नत्थी वीजा कहते हैं।
#WATCH | MEA spokesperson Arindam Bagchi says, "It has come to our notice that Stapled visas were issued to some of our citizens representing the country in an international sporting event in China. This is unacceptable. And we have lodged our strong protest with the Chinese side… pic.twitter.com/hXuox50mq9
— ANI (@ANI) July 27, 2023
किन देशों में जारी किया जाता है नत्थी वीजा?
नत्थी वीजा कई देशों द्वारा जारी किया जाता है। यह देश हैं- क्यूबा, ईरान, सीरिया और उत्तर कोरिया। ये देश चीन और वियतनाम के लोगों को भी नत्थी वीजा जारी करते थे, लेकिन इन देशों में हुए आपसी समझौते के बाद इन देशों को इससे छूट मिल गई है। वहीं, चीन भारत के दो राज्यों अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लोगों को नत्थी वीजा जारी करता है।
हालांकि, चीन यही नीति भारत के अन्य राज्यों के लिए लागू नहीं करता। चीन की यह मानसिकता है कि वह अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है और तिब्बत पर चीन का अधिकार है। ऐसे में चीन भारत के अरुणाचल प्रदेश को अपने देश का हिस्सा मानता है। चीन उन इलाकों को भारत का हिस्सा नहीं मानता है, जिनके लिए वह स्टेपल वीजा जारी कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश के अलावा इसमें जम्मू-कश्मीर का भी नाम है।
चीन अरुणाचल प्रदेश को जरूर अपना हिस्सा मानता है, लेकिन अरुणाचल के लोगों को अपने देश का नहीं मानता, इसलिए वह इस राज्य के लोगों के लिए नत्थी वीजा जारी करता है। चीन का मानना है कि अरुणाचल प्रदेश उनका हिस्सा है और यहां के नागरिकों को ‘अपने देश’ की यात्रा के लिए वीजा की कोई जरूरत नहीं है। अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिणी तिब्बत कहकर अपना हिस्सा होने का दावा करता है। उसका कहना है कि अरुणाचल का क्षेत्र फिलहाल भारत के कब्जे में है, इसलिए वहां के लोगों के लिए नत्थी वीजा या स्टेपल्ड वीजा जारी किया जाता है।
वहीं, जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए चीनी विदेश मंत्रालय का संदेश यह है- ‘भारत आपकी विदेशी यात्राओं पर नजर रखती है। आपका पासपोर्ट चेक करने पर पता चल जाएगा कि आपने चीन की यात्रा कब-कब की और आपको यात्रा का कारण बताने के लिए बाध्य कर सकती है। इसलिए चीनी सरकार ने पासपोर्ट पर स्टाम्प न लगाकर जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए नत्थी वीजा जारी करने का फैसला लिया।’ भारत इसको लेकर कई बार आपत्ति जता चुका है, लेकिन चीन ने अपनी कूटनीति नहीं बदली। वह भारत के साथ अपने विवाद को कायम रखना चाहता है।
चीन इसी विवाद के तहत अरुणाचल प्रदेश में भारतीय मंत्रियों के दौरे पर भी आपत्ति जताता रहता है। साल 2014 में भारतीय दौरे पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि नत्थी वीजा जारी करने का मतलब है कि हम संबंधित सीमा मुद्दे पर अपने दावे से कोई समझौता नहीं कर रहे हैं।
इसे स्टेपल्ड वीजा या नत्थी वीजा क्यों कहते हैं?
इसे नत्थी वीजा इसलिए कहा जाता है क्योंकि पासपोर्ट के साथ जिस कागज को जोड़ा जाता है, जिसमें यात्रा का विवरण होता है, उसे नत्थी या स्टेपल किया जाता है। इसके लिए स्टेपलर का सहारा लिया जाता है। स्टेपल का हिंदी अर्थ नत्थी करना होता है।
#WATCH | MEA Spox Arindam Bagchi says, "During the Bali G20 Summit last year, Prime Minister and President Xi Jinping, at the conclusion of the dinner hosted by the Indonesian President, exchanged courtesies and spoke of the need to stabilize our bilateral relations… I think… pic.twitter.com/Z3FVhPVrL9
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भारतीय वुशू टीम के साथ नत्थी वीजा का क्या है मामला?
चीन के चेंगजू शहर में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स की वुशू टूर्नामेंट में शिरकत करने के लिए 12 लोगों की टीम को जाना था। इसमें आठ खिलाड़ी के अलावा एक कोच और तीन स्टाफ शामिल थे। इस टीम में अरुणाचल प्रदेश के तीन खिलाड़ी नैयमन वांग्सू, ओनिलू तेगा और मेपुंग लामगू शामिल थे। सभी खिलाड़ियों के वीजा के लिए 16 जुलाई को आवेदन दिया गया था।
बाकी खिलाड़ियों के लिए चीन ने समय से वीजा जारी कर दिया, लेकिन अरुणाचल के तीनों खिलाड़ियों के दस्तावेज चीनी दूतावास ने स्वीकार नहीं किए। तीनों खिलाड़ियों को मंगलवार को दोबारा दस्तावेज दाखिल करने के लिए कहा गया।
इसके बाद दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने उनके पासपोर्ट बुधवार को नत्थी वीजा के साथ वापस कर दिए। केंद्र सरकार तक पूरा मुद्दा पहुंचने के बाद पूरी 12 लोगों की वुशू टीम को रोक लिया गया। उन्हें रात ढाई बजे दिल्ली एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया गया। हालांकि, बाकी खेलों के भारतीय खिलाड़ी चीन के लिए रवाना हो चुके हैं।
#WATCH | MEA spokesperson Arindam Bagchi says, "It has come to our notice that Stapled visas were issued to some of our citizens representing the country in an international sporting event in China. This is unacceptable. And we have lodged our strong protest with the Chinese side… pic.twitter.com/hXuox50mq9
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इसके पीछे चीन की क्या चाल है?
- दरअसल, नत्थी वीजा वाला कोई शख्स अगर काम खत्म करके अपने देश लौटना चाहता है तो उसे पासपोर्ट के साथ मिलने वाली पर्ची को फाड़ दिया जाता है। इसी पर्ची पर यात्रा का कारण और स्टाम्प लगा होता है। इसके साथ ही उस देश में एंट्री और एग्जिट पास को फाड़ दिया जाता है। इस तरह यात्रा करने वाले व्यक्ति के पासपोर्ट इस यात्रा की कोई जानकारी नहीं रह जाती। भारतीय सरकार और प्रशासन के लिए यह सुरक्षा को लेकर बड़ी चुनौती पैदा करता है।
- नत्थी वीजा में एंट्री-एग्जिट पास नष्ट करने के साथ-साथ पर्ची फाड़ देने पर पासपोर्ट के साथ कोई स्थाई निशान नहीं बचता है। यदि चीन किसी जम्मू-कश्मीर नागरिक के पासपोर्ट पर स्टाम्प लगाता है और यात्रा की जानकारी छोड़ता है तो इसका मतलब यह है कि चीन यह स्वीकार कर रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है, जो चीन नहीं करना चाहता।
- इतना ही नहीं जिस देश के निवासी के लिए नत्थी वीजा जारी किया जाता है, उस देश के लिए यह अस्मिता का सवाल बन जाता है। यह भारत सरकार के लिए एक चुनौती है कि एक दुश्मन देश “स्वतंत्र देश” के हिस्से को अपना क्षेत्र मानता है।
- एक देश नत्थी वीजा जारी करने का विरोध करता है क्योंकि वीजा जारी करने वाला देश उस देश के खिलाफ साजिश कर सकता है जिसके नागरिकों को यह वीजा मिल रहा है, क्योंकि नत्थी वीजा पाने वाले लोगों के पासपोर्ट पर यात्रा का कोई सबूत नहीं होता है। जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की चीन यात्रा इसका पुख्ता सबूत है। जानने योग्य बात यह है कि 2009 से चीन जम्मू-कश्मीर के निवासियों को इस तरह का वीजा जारी कर रहा है।
- यह कहा जा सकता है कि चीन ने भारत के जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए नत्थी वीजा की जो प्रक्रिया शुरू की है वह भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले लोगों को चीन में आमंत्रित करके भारत को तोड़ने की साजिश को अंजाम देने का प्रयास है। यही कारण है कि जब भी चीन सरकार इन दोनों प्रदेशों के नागरिकों को नत्थी वीजा जारी करती है तो भारत सरकार इसका विरोध करती है।
पहले भी चीन नत्थी वीजा को लेकर करता रहा है विवाद
चीन ने 2000 के दशक में अरुणाचल को लेकर नत्थी वीजा की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके बाद से कई अन्य मौकों पर चीन की तरफ से भारत के नॉर्थ ईस्ट राज्यों के लोगों को यह वीजा जारी किया गया है। भारत ने हर बार इस पर आपत्ति जताई है। साल 2011 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के पांच कराटे प्लेयर्स को नत्थी वीजा जारी किया था, वहीं 2013 में अरुणाचल प्रदेश के दो तीरंदाजों को यह वीजा जारी किया गया था। इसके जवाब में भारत ने भी ‘वन चाइना पॉलिसी’ का समर्थन करना छोड़ दिया है।