कर्नाटक में मंदिरों के शहर उडुपी में एक शैक्षणिक संस्थान अंबालपाड़ी बाईपास पर स्थित नेत्र ज्योति इंस्टीट्यूट आफ अलायड हेल्थ साइंसेज में तीन मुस्लिम लड़कियों द्वारा महिला छात्रावास के बाथरूम में नहा रही हिंदू छात्राओं का वीडियो बनाने और वीडियो को मुस्लिम लड़कों के साथ साझा किए जाने की घटना ने देश को स्तब्ध कर दिया है। पीड़िताओं के मुताबिक यह पिछले एक साल से चल रहा था। परंतु इंस्टीट्यूट प्रबंधन इस मामले को दबाने में जुटा था। बीती 20 जुलाई को छात्राओं के धरना-प्रदर्शन पर बैठने के बाद प्रबंधन ने तीनों आरोपी मुस्लिम छात्राओं को महज निलंबित करके और माफीनामा लिखवा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। प्रबंधन ने लड़कियों के मोबाइल से वीडियो डिलीट करवा दिया और एफआईआर दर्ज नहीं कराया।
घटना के राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित होने और भाजपा एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा गुरुवार (27 जुलाई) को राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा किये जाने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य खुशबू सुंदर मंगलवार रात को उडुपी पहुंचीं। तब पुलिस ने स्वत:संज्ञान लेते हुए बुधवार (26 जुलाई) को तीनों लड़कियों शाफिया, अल्फिया और शबनाज के विरुद्ध नामजद और इंस्टीट्यूट प्रशासन के विरुद्ध एक प्राथमिकी और वीडियो वायरल करने के विरुद्ध एक एफआईआर दर्ज की। भाजपा नेताओं का कहना था कि यह हिंदू लड़कियों के विरुद्ध एक संगठित अपराध है जिसे राज्य की कांग्रेस सरकार दबाना चाहती है।
शर्मनाक यह है कि राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वरन ने मुस्लिम छात्राओं द्वारा बाथरूम में नहा रही हिंदू छात्राओं के वीडियो बनाये जाने और उन्हें मुस्लिम लड़कों के साथ साझा करने को एक मामूली घटना करार दिया है। इस पर भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गृह मंत्री परमेश्वरन को इस मामले को हल्के में लेने पर आड़े हाथ लिया। बोम्मई ने संवाददाताओं से कहा कि ‘अगर यह छोटा मामला था तो प्राथमिकी क्यों दर्ज की गयी और आरोपी लड़कियों के इकबालिया पत्र का क्या हुआ? और उन लड़कियों को निलंबित क्यों किया गया?’ बोम्मई ने कहा कि इन वीडियो से कितनी लड़कियों की इज्जत दांव पर लगी होगी? ऐसी ताकतों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
इंस्टीट्यूट की निदेशक रश्मि कृष्ण प्रसाद ने बताया कि वीडियो बनाने की घटना बुधवार (19 जुलाई) की है। हालांकि मीडिया को दिये एक इंटरव्यू में इंस्टीट्यूट की छात्राओं ने बताया कि उन्होंने 18 जुलाई को कॉलेज प्रबंधन से शिकायत की थी। परंतु प्रबंधन ने शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। 20 जुलाई को इंस्टीट्यूट की अन्य छात्राओं को इस बारे में पता चला तो वे धरना-प्रदर्शन पर बैठ गयीं। छात्राओं ने बताया कि इंस्टीट्यूट के एडमिनिस्ट्रेटर अब्दुल कादिर ने पीड़िताओं से कहा कि वे इस मामले को गंभीरता से न लें, ये एक प्रैंक है। छात्राओं ने बताया कि ऐसा छह महीने पहले भी हुआ था परंतु कॉलेज प्रबंधन ने बिना किसी जांच-पड़ताल के मामले को बंद कर दिया। ये मुस्लिम लड़कियां पिछले एक साल से हिंदू छात्राओं के वीडियो बना रही थीं और मुस्लिम लड़कों के साथ साझा कर रही थीं। आरोपी लड़कियां लंच के समय बाहर कार में बैठे मुस्लिम लड़कों को अपना मोबाइल दे देती थीं और वे लड़के वीडियो अपने मोबाइल में ले लेते थे।