एक तरफ जहां पीएम मोदी ने विदेशों से अपने देश से बाहर गई दुर्लभ मूर्तियों को देश में वापस लाने का अभियान शुरू किया हुआ हैं। तो वहीं देश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन पौराणिक मंदिरों की मूर्तियों को सालों से कोठरियों में बंद कर रखा हुआ है। बैजनाथ मंदिर जोकि आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित है वहां एक कोठरी में हजारों साल पुरानी मूर्तियों के होने की जानकारी जब एएसआई के एडीजी गुरमीत सिंह चावला हो हुई तो उन्होंने अपनी मौजूदगी में उस कोठरी का ताला 49 साल बाद खुलवाया और उन्होंने हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि जिन मूर्तियों को तीर्थ यात्रियों के दर्शन के लिए रखना चाहिए था उन्हे अंधेरी कोठरी में बंद किया हुआ है।
जानकारी के अनुसार, उन्होंने अपनी मौजूदगी में ऐसी 128 मूर्तियों की गणना की और उनकी दशा पर चित्र भी लिए, इसके बाद उक्त कोठरी को पुनः सील कर दिया गया। एडीजी चावला ने कहा कि इन मूर्तियों को राज्य सरकार की मदद से एक संग्रहालय बनाकर लोगों के अवलोकनार्थ रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार मानसखंड तीर्थ सेक्टर को प्रमोट कर रही है। यहां बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री पर्यटक आने वाले हैं उनके लिए एएसआई के अधीन मंदिर और अन्य एतिहासिक स्थानों को सजाने संवारने और संरक्षित किए जाने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि अल्मोड़ा से आगे गरुड़ के पास गोमती नदी के किनारे आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शिवालय है जहां बारहों मास शिवालय में जलाभिषेक होता है। सावन मास में तीर्थ यात्रियों की संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इस मंदिर के प्रति उत्तराखंड के कत्यूरी राज्यों का सम्मान रहा है, समय-समय पर उनके द्वारा इस मंदिर के पुनर्निर्माण में सहयोग किया जाता रहा है। सावन मास में सोमवार के दिन खासतौर पर यहां विशेष पूजा अर्चनाएं और जलाभिषेक किया जाता है इसके लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।