आज यानी 9 अगस्त को आदिवासी दिवस है। विश्व भर की आदिवासी जातियों में जागरूकता फैलाने और उनके अधिकारों के संरक्षण को प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 1994 में आज के दिन मनाए जाने की घोषणा की गई थी, जो कि वैश्विक स्तर पर आदिवासी जनसंख्या के मानवाधिकारों की रक्षा करना और इन्हें लागू करने के लिए वर्ष 1982 में हुई पहली बैठक से प्रेरित है।
विश्व आदिवासी दिवस का मुख्य विषय
संयुक्त राष्ट ने विश्व आदिवासी दिवस 2023 के मुख्य विषय को आदिवासी युवाओं पर फोकस किया है। यूएन के एक अपडेट के मुताबिक इस बार के विश्व आदिवासी दिवस का थीम है – “आत्मनिर्णय के लिए परिवर्तन के प्रेरक के रूप में आदिवासी युवा” (Indigenous Youth as Agents of Change for Self-determination)। आज के आदिवासी युवा अपने आत्मनिर्णय के अधिकार का प्रयोग सक्रिय तौर पर कर रहे हैं। हम जानते हैं कि भविष्य आज लिए गए निर्णयों पर निर्भर करता है। ऐसे में आदिवसी युवाओं द्वारा जो कार्य आज किए जा रहे हैं, वे मानवता के सामने मौजूद कुछ सबसे गंभीर समस्याओं से उबरने में सबसे असरदार प्रेरक के तौर पर काम कर रहे हैं।
विश्व आदिवासी दशक 2022 से 2023
इससे पहले, वर्ष 2021 में मनाए गए विश्व आदिवासी दिवस के समय संयुक्त राष्ट द्वारा वर्ष 2022 से वर्ष 2032 तक के दशक को ‘आदिवासी दशक’ के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की गई थी। इसके पीछे यूएन का उद्देश्य है कि आदिवासी भाषाओं के सरक्षण के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा सकते हैं, उन्हें इस दशक में हाईलाइट करना है।
करीब 7 हजार आदिवासी भाषाओं में से 40 फीसदी लुप्त होने की कगार पर
दूसरी तरफ, संयुक्त राष्ट्र की ही एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक पूरे विश्व में कुल मिलाकर करीब 7 हजार आदिवासी भाषाओं की पहचान की गई है। ध्यान देने वाली बात ही कि इनमें 40 फीसदी विलुप्त होने की कगार पर हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इनका उपयोग पढ़ाई, संचार, सरकारी कामकाज और रोजगार के क्षेत्रों में हुआ ही नहीं और आदिवासी युवा आर्थिक रूप से उन्नत होने के लिए प्रचलित भाषाओं को अपनाते गए।