भारत सरकार देश का अपना ब्राउजर लॉन्च करने की तैयारी में है। सरकार इसे आत्मनिर्भर भारत के तर्ज पर ला रही है। इसका नाम आत्मनिर्भर ब्राउजर होगा। यह तकनीक Google Chrome, मोज़िला फायरफॉक्स, माइक्रोसॉफ्ट एज, ओपेरा और अन्य ब्राउज़रों को कड़ी टक्कर देगा। वेब ब्राउजर को तैयार करने के लिए 3 करोड़ रुपये की फंडिंग की व्यवस्था की गई है। इसकी निगरानी इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी मिनिस्ट्री और उसके संबंधित विभागों द्वारा की जाएगी। एक अधिकारी ने कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हमारे डिजिटल भाग्य पर हमारा नियंत्रण हो। हम उन क्षेत्रों में विदेशी वेब ब्राउज़रों पर निर्भर नहीं रहना चाहते हैं जहां सुरक्षा और सिक्योरिटी किसी और के हाथ में हो। ऐसे में हमारे पास आत्मनिर्भर वेब ब्राउज़र होनी चाहिए।
इस वजह से सरकार उठा रही है यह कदम
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इस कार्यक्रम को Google और मोज़िला फायरफॉक्स जैसी प्रमुख अमेरिकी ब्राउज़र कंपनियों को देश के वेब सुरक्षा प्रमाणन प्राधिकरण को अपने ‘ट्रस्ट स्टोर्स’ में शामिल करने के लिए काम के रूप में देखती है। ब्राउज़र के ट्रस्ट स्टोर या रूट स्टोर में प्रमाणन प्राधिकारियों की एक सूची होती है जिनके प्रमाणपत्रों पर भरोसा किया जा सकता है। वर्तमान में, Google Chrome और Mozilla Firefox जैसे शीर्ष ब्राउज़र अपने रूट स्टोर में भारत की आधिकारिक प्रमाणन एजेंसी को शामिल नहीं करते हैं।
ब्राउजर के बाजार में क्रोम है किंग
जुलाई के सिमिलरवेब डेटा के अनुसार, भारत के लगभग 850 मिलियन यूजर्स वाले विशाल इंटरनेट बाजार में, Google Chrome 88.47 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ लीडर बना हुआ है। सफारी 5.22 प्रतिशत के साथ 2nd नंबर पर है है, इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट एज 2 प्रतिशत, सैमसंग इंटरनेट 1.5 प्रतिशत, मोज़िला फायरफॉक्स 1.28 प्रतिशत और अन्य 1.53 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। सरकार को उम्मीद है कि स्वदेशी वेब ब्राउज़र का विकास और लॉन्च 2024 के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसने घरेलू स्टार्टअप, शैक्षणिक संस्थानों और निगमों को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है, और विकास प्रक्रिया के दौरान चयनित पिचों को सहायता प्रदान करेगी।
एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा, “सरकार घरेलू वेब ब्राउज़रों को अपनाने में भी मदद करेगी। उन्हें न केवल वेब 3 के अनुरूप होना होगा और क्रिप्टो टोकन के माध्यम से डिजिटल हस्ताक्षर सक्षम करने होंगे, बल्कि भारतीय भाषाओं के समर्थन जैसी स्वदेशी विशेषताएं भी होंगी।