आतंकवाद और नक्सलवाद एक ऐसा मुद्दा था जो कुछ वर्षों पूर्व तक समय के साथ साथ देश में अपनी जड़ें मजबूत करता जा रहा था मगर पिछले कई वर्षों से इन्हे जड़ों से उखाड़ फेकने के लिए वर्तमान सरकार ने बड़ा काम किया है। इस बात का प्रमाण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को दिया जब उन्होंने संसद के माध्यम से देश को बताया कि 26/11 मुंबई हमले का आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा जल्द ही भारतीय न्यायपालिका के सामने होगा।
बुधवार को लोकसभा में विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) पर बहस के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आतंकवाद और नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि किस तरह से कश्मीर में आतंकवाद का खात्मा हो गया है और नक्सली अब छत्तीसगढ़ में केवल 3 जिलों तक ही सीमित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि “हमने PFI पर प्रतिबंध लगाया और देश में 90 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की गई। लंदन, ओटावा और सैन फ्रांसिस्को में हमारे मिशनों पर हमलों के मामले NIA को सौंप दिए गए। और इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जल्द ही तहव्वुर हुसैन राणा भारत में न्यायपालिका के सामने होगा।
आपको बता दें, राणा को 26/11 हमले में उसकी भूमिका के लिए भारत के अनुरोध करने पर अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। 26/11 हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई के महत्वपूर्ण स्थानों की 60 घंटे से अधिक समय तक घेराबंदी की थी और उन हमलों में छः अमेरिकियों सहित 160 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी।
इस हमले को लेकर भारत सरकार का आरोप है कि राणा ने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर पाकिस्तानी आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी हमलों को अंजाम देने में मदद करने की साजिश रची। राणा और हेडली दोनों ने ही पाकिस्तान में मिलिट्री हाई स्कूल में एक साथ पढ़ाई भी की थी। डेविड कोलमैन हेडली एक अमेरिकी टेररिस्ट था जिसने 26/11 हमले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इस बात को उसने बाद में पूछताछ के दौरान स्वीकार भी किया था।
जहाँ एक तरफ राणा के वकील का कहना है कि शिकागो में राणा के इमीग्रेशन लॉ सेंटर के साथ साथ मुंबई में एक सैटेलाइट ऑफिस को कथित तौर पर 2006 और 2008 के बीच उनकी आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
वहीं दूसरी ओर 26/11 मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता हेडली ने अपना दोष स्वीकार कर लिया था और राणा के खिलाफ गवाही भी दी थी। इसके साथ ही हमले को लेकर कई नई बातें और कई चेहरे भी सामने आए थे। आपको बता दें कि इसमें महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट का भी नाम सामने आया जिसे हेडली ने अपना नज़दीकी दोस्त बताया था।
हेडली की गवाही के अनुसार उसने राहुल भट्ट को 26 नवंबर यानी हमले के दिन दक्षिण मुंबई क्षेत्र का दौरा न करने की सलाह दी थी। कुछ लोगों की हमेशा से यह माँग रही है कि राहुल भट्ट का भी इस हमले में हाथ हो सकता है इसलिए उसकी भी इंक्वायरी होनी चाहिए।
यहाँ इस बात पर भी ध्यान देना ज़रूरी होगा कि महेश भट्ट ने अपने सहयोगियों और मित्रों के साथ मिलकर हमले के कुछ दिनों के भीतर ही एक बुक (26/11 RSS की साजिश) लॉन्च की थी जिससे इस हमले का सारा दोष RSS पर मढ़ दिया गया था।
ठीक इसी तरह से 26/11 हमले में ऐसी कई साजिशें की गई जिनसे इस हमले का शक हिन्दुओं पर जा सके। फिर चाहे वो किताब का लॉन्च करना हो या अजमल कसाब के हाथ में कलावा देखना हो। लेकिन यह भी सच है की उस समय इन मामलों की कार्यवाही करने पर सरकार द्वारा कुछ ख़ास ज़ोर नहीं दिया गया था। अब जब इन मामलों पर ज़ोर दिया जा रहा है और कार्यवाई की जा रही है तो यह सरकार के प्रयासों की सराहना होनी चाहिए।