राजस्थान पुलिस के महानिदेशक (DGP) उमेश मिश्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कई सवालों के जवाब दिए हैं। उन्होंने राजस्थान पुलिस की कार्रवाइयों और राज्य में अपराध को लेकर स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने NCRB का हवाला देते हुए कहा कि अपराध में बढ़ोतरी का मतलब ये नहीं है कि पुलिस निष्क्रिय है। उन्होंने कहा कि अपराध के आँकड़े बढ़ने और इसके पंजीकृत होने की संख्या बढ़ने – दोनों में अंतर है। उन्होंने कहा कि 2022 की तुलना में इस साल अपराध में 0.6% की नगण्य वृद्धि हुई है।
उमेश मिश्रा ने कहा कि डकैती की घटनाओं में 25% की कमी आई है। उन्होंने कहा कि इस साल हत्या, अपहरण और लूट जैसी घटनाओं में कमी आई है। महिला अत्याचार के विषय में उन्होंने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इसमें आंशिक कमी आई है। उन्होंने कहा कि कन्विक्शन प्रतिशत रेप के मामलों में राजस्थान पुलिस का 48% है, जबकि राष्ट्रीय औसत 30% है। उन्होंने बताया कि पॉक्सो के मामले में भी ये आँकड़ा 48% है।
उन्होंने बताया कि 2019-23 में 1590 प्रकरणों में सज़ा हुई है, जिनमें 13 में फाँसी की सज़ा, 255 में आजीवन कारावास और 386 में 20 वर्ष की सज़ा दिलाई गई। उन्होंने बताया कि औसतन 54 दिनों में जाँच पूरी की जा रही है। दलित-जनजातीय समाज विरोधी अपराध के मामले में भी उन्होंने कहा कि औसतन 64 दिनों में जाँच पूरी कर ली जाती है और सज़ा का प्रतिशत 41% है, इसे और बेहतर किया जाएगा। उन्होंने इसे पड़ोसी राज्यों से बेहतर करार दिया।
उन्होंने राजस्थान पुलिस को संवेदनशील और प्रोफेशनल करार दिया। उन्होंने दावा किया कि अपराधियों में पुलिस का भय बढ़ा है। उन्होंने बताया कि 45 इनामी अपराधी गिरफ्तार किए हैं, जिसमें माफिया कमल राणा प्रमुख है। हिस्ट्रीशीटर्स के अर्थतंत्र पर प्रहार की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वैधानिक दायरे में रह कर 12 अपराधियों की संपत्तियाँ ध्वस्त की गई हैं। उन्होंने 56,000 से भी अधिक अपराधियों की गिरफ़्तारी की बात की, जिनमें 4475 सामान्य प्रकरण के अपराधी थे।
उन्होंने राजस्थान में गुंडों पर शिकंजा के लिए बने नए कानून के लागू होने पर पुलिस के और प्रभावशाली होने की बात कही। ड्रग्स को लेकर उन्होंने बताया कि 20 किलोग्राम हेरोइन, 24 किलोग्राम अफीम और कई अन्य मादक पदार्थ हाल के दिनों में जब्त किए गए हैं। उन्होंने बताया कि हत्या के 206 मामलों में 12 घंटे के भीतर अपराधी गिरफ्तार कर लिए गए, 24 घंटों के भीतर 173 और 7 दिनों के भीतर 274 अपराधी गिरफ्तार हुए।
उन्होंने बताया कि गैंगरेप के मामलों में भी 12 घंटे से कम समय में 26 एयर 24 घंटे में 72 अपराधी गिरफ्तार किए गए। कानून-व्यवस्था पर उन्होंने कहा कि छोटी-मोटी घटनाएँ चलती रहती हैं, लेकिन किसी बड़े सांप्रदायिक घटना को होने से रोका गया है। उन्होंने बताया कि खूँखार अपराधी रोहित गोदारा देश से बाहर है और कई राज्यों में वॉन्टेड है, उसके गिरोह के लोग धराए हैं। उसे गिरफ्तार करने के लिए प्रयास चल रहा है।
उन्होंने बताया कि 2 ऐसी घटनाएँ हुईं, जहाँ कई थानों की पुलिस ने लाइव चीज में अपराधियों को पकड़ा, वो मारे भी गए। इस दौरान NDTV की पत्रकार ने हिन्दू कार्यकर्ता और गोरक्षक मोनू मानेसर को लेकर सवाल पूछा। वीडियो में 26वें मिनट में आप ये देख सकते हैं। सवाल में दावा किया गया कि उन्हें लेकर राजस्थान-हरियाणा में राजनीतिक खींचातानी चल रही है। सवाल पूछा गया कि हरियाणा पुलिस से मोनू मानेसर को गिरफ्तार किए जाने की दिशा में क्या मदद मिली है?
इसके जवाब में राजस्थान के डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि राजस्थान पुलिस की एक टीम नूँह भी गई थी। उन्होंने कहा कि वो हरियाणा पुलिस पर कोई आरोप नहीं लगाना चाहेंगे, राजस्थान पुलिस का प्रोफेशन तरीका है। उन्होंने कहा कि इसमें प्रमुख मुद्दा है वो इंटेलिजेंस का है, ये होगा तो वो पकड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस घटना (नासिर-जुनैद की हत्या) में जो सीधी तरह शामिल हैं, एक अपराधियों का इनर सर्कल होता है, इस घटना में जो प्रत्यक्षतः शामिल थे, उनमें वो नहीं हैं।
DGP ने आगे बताया, “एक दूसरी जो भूमिका होती है बैकग्राउंड से, उसकी तफ़तीश जारी है। हम उसके लिए कोशिश भी कर रहे हैं। हम ये नहीं कह सकते कि हरियाणा पुलिस कितना सहयोग कर रही है और कितना नहीं – कई चीजें सार्वजनिक नहीं की जाती। लेकिन, ये सच है कि अब तक मोनू मानेसर हमारे सामने नहीं आया है। दूसरे अपराधियों को लेकर भी हमने हरियाणा पुलिस से निवेदन किया है। हो सकता है उनके पास भी कोई इंटेलिजेंस न हो, हम कोई टिप्पणी करने से बचेंगे।”
उन्होंने कहा कि जब तक अपराधी गिरफ्तार न हो, हम ये नहीं कह सकते कि जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने पड़ोसी राज्यों पर भरोसा जताने की बात करते हुए कहा कि उन्हें मदद मिली भी है और सीनियर लेवल पर वार्ता होती रहती है। क्या राजस्थान पुलिस की टीम वहाँ जाएगी? इस पर डीजीपी ने कहा कि ऐसे डिटेल्स प्रेस कॉन्फ्रेंस में उजागर नहीं किए जा सकते। बता दें कि नासिर और जुनैद के ज़िंदा जलने के केस में मोनू मानेसर का हाथ होने का आरोप लगाया गया था।