प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बढ़ई, राजमिस्त्री और सुनार जैसे परंपरागत कौशल से जुड़े लोगों के लिए आजीविका के अवसर बढ़ाने के लिए 15,000 करोड़ रुपये तक के बजट वाली ‘विश्वकर्मा योजना’ की मंगलवार को घोषणा की। मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित लोगों को लाभ पहुंचाने वाली यह योजना 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर शुरू की जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किला की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए इस योजना का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि आगामी विश्वकर्मा जयंती पर औजारों या अपने हाथों से पारंपरिक कौशल से आजीविका कमाने वाले लोगों के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
इन लोगों को मिली मदद
मोदी ने कहा कि 13,000- 15,000 करोड़ रुपये की यह योजना बढ़ई, सुनार, राजमिस्त्री, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और बाल काटने वाले पेशेवर लोगों की मदद करेगी जो ज्यादातर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से नाता रखते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की विकासपरक नीतियों के कारण पिछले पांच वर्षों में करीब 13.5 करोड़ लोग गरीबी के चंगुल से बाहर निकलने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आवास योजनाओं से लेकर पीएम स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी पटरी वालों के लिए 50,000 करोड़ रुपये का प्रावधान करने और ऐसे कई कार्यक्रमों की मदद से 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि जीवन में इससे अधिक संतुष्टि किसी चीज से नहीं मिल सकती है।
10वें संबोधन में 20 लाख करोड़ की बात
प्रधानमंत्री ने लाल किले से अपने 10वें संबोधन में कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट वाली मुद्रा योजना ने देश के युवाओं के लिए स्वरोजगार, व्यवसाय और उद्यम के अवसर प्रदान किए हैं। उन्होंने कहा कि करीब आठ करोड़ लोगों ने नए व्यवसाय शुरू किए हैं और प्रत्येक उद्यमी ने एक या दो व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सरकार की तरफ से व्यवसायों की मदद की गई। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये का समर्थन देकर उन्हें डूबने से बचाया गया।