2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी पहले ऐसे राजनेता हैं, जिन्हें चुनाव से पहले ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया और लोगों ने उन्हें जिताया भी। नरेंद्र मोदी के उभार ने देश से गठबंधन सरकार के चलन को समाप्त कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा था और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की थी। नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं उनके गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और वह दोनों सीटों से भारी मतों से निर्वाचित हुए थे। बाद में उन्होंने वडोदरा सीट छोड़ दी थी। उनके नेतृत्व में न केवल भारत ने और न केवल भारतीय जनता पार्टी ने बल्कि ग्लोबल साउथ ने एक नया आत्मविश्वास पाया और अभूतपूर्व विकास भी किया।
नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एवं बुनियादी सुविधाओं पर खर्च तेजी से बढ़ा। उन्होंने सुशासन को नए सिरे से साकार कर दिखाया, देश के प्रशासनिक क्षेत्र में कई सुधार किये, तथा भारत को विश्व पटल पर एक महत्वपूर्ण आर्थिक, राजनीतिक और मित्रतापूर्ण सैनिक शक्ति के रूप में स्थापित किया। सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अभूतपूर्व कदम उठाकर उन्होंने भारत की आंतरिक सुरक्षा को भी अभूतपूर्व सुदृढ़ता प्रदान की।
दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य पत्रिकाओं में से एक लांसेट ने आयुष्मान भारत की सराहना करते हुए कहा है कि यह योजना भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े असंतोष को दूर कर रही है। पत्रिका ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को प्राथमिकता देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की भी सराहना की। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम आयुष्मान भारत का नेतृत्व कर रहा है। 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को कवर करते हुए आयुष्मान भारत गरीब और नव मध्यम वर्ग को उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित कर रहा है।
2014 से अब तक के नौ वर्ष में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने शासन और व्यापार को सुगम बनाने के लिए 2,000 से अधिक नियमों और कानूनों को समाप्त कर दिया है। ये नियम-कानून अंग्रेजों के जमाने के थे, जिससे लोगों के लिए सुविधाजनक नहीं थे। बुजुर्गों को जीवन प्रमाणपत्र बनवाने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए चेहरा पहचानने की तकनीक अपनाई गई और अधिकांश कामकाज को आनलाइन कर पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिकों की हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई। पहले जहां प्रत्येक वर्ष दो लाख शिकायतें मिलती थीं, नई व्यवस्था के तहत शिकायत निवारण तंत्र को केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली में स्थानांतरित करने के बाद अब हर वर्ष लगभग 20 लाख शिकायतों का निपटारा किया जा रहा है।