जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को वैध ठहराने वाली एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिका को गलत बताते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता का मुद्दा पहले से ही शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के समक्ष लंबित है।
‘यह किस तरह की याचिका है?’
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से पूछा, “यह किस तरह की याचिका है? अब आप इस अदालत से घोषणा की मांग कर रहे हैं कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना वैध है। हमें आपकी याचिका पर वह घोषणा क्यों जारी करनी चाहिए? आपके मुवक्किल को किसने खड़ा किया है?”
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को वैध ठहराने की मांग
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें इस आशय की घोषणा करने की मांग की गई है कि संविधान के अनुच्छेद 370 (1) को निरस्त करना और अनुच्छेद 35-ए को हटाना संवैधानिक रूप से वैध था।
इस याचिका में कहा गया, “इस अदालत द्वारा केंद्र सरकार की कार्रवाई की संवैधानिक वैधता के संबंध में कोई घोषणा जारी नहीं की जा सकती। किसी भी स्थिति में, संवैधानिक वैधता का मुद्दा संविधान पीठ के समक्ष लंबित है।” शीर्ष अदालत ने कहा, “वर्तमान याचिका गलत है और तदनुसार खारिज की जाती है।”
क्या है अनुच्छेद 35-A?
अनुच्छेद 35-A, जिसे 1954 के राष्ट्रपति आदेश द्वारा संविधान में शामिल किया गया था, जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार और विशेषाधिकार प्रदान करता था और राज्य के बाहर के लोगों को राज्य में कोई भी अचल संपत्ति प्राप्त करने से रोकता था। इसने उस महिला को संपत्ति के अधिकार से भी वंचित कर दिया, जिसने राज्य के बाहर के व्यक्ति से शादी की थी।
जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ
5 अगस्त, 2019 को, केंद्र ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर से विशेष दर्जा छीनने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय लिया। केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ अनुच्छेद 370 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर दलीलें सुन रही है, जिसने पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया।