रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 2 और 3 सितंबर को श्रीलंका के दो दिवसीय दौरे पर होंगे। सरकार का कहना है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच दोस्ती को गहरा करने में ‘मील का पत्थर’ साबित होगी।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि राजनाथ सिंह, राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने के साथ बातचीत करेंगे। विक्रमसिंघे के पास श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय का भी प्रभार है।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ बैठक
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह श्रीलंका के राष्ट्रपति और रक्षा मंत्री रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने के साथ बातचीत करेंगे।” इसमें बताया गया है कि बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच भारत के रक्षा संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा की जाएगी।
कई जगहों का दौरा करेंगे रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह मध्य श्रीलंका में नुवारा एलिया और देश के पूर्वी हिस्से में स्थित त्रिंकोमाली का भी दौरा करेंगे। मंत्रालय ने कहा, “राजनाथ सिंह की यह यात्रा श्रीलंका के साथ मौजूदा मैत्रीपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराएगी।”
साबित होगा मील का पत्थर
जारी किए गए बयान में कहा गया, “यह दोनों देशों के बीच दोस्ती के मजबूत बंधन बनाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।” दरअसल, द्वीप राष्ट्र पर कब्जा करने के लिए चीन के लगातार प्रयासों के बीच भारत ने श्रीलंका के साथ अपने रणनीतिक संबंधों का विस्तार करने का फैसला किया।
पिछले साल अगस्त में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज ‘युआन वांग’ की डॉकिंग के कारण भारत और श्रीलंका के बीच राजनयिक विवाद खड़ा हो गया था। इतना ही नहीं, पिछले महीने कोलंबो बंदरगाह पर एक और चीनी युद्धपोत रुका था।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ बैठक
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह श्रीलंका के राष्ट्रपति और रक्षा मंत्री रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने के साथ बातचीत करेंगे।” इसमें बताया गया है कि बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच भारत के रक्षा संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा की जाएगी।
कई जगहों का दौरा करेंगे रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह मध्य श्रीलंका में नुवारा एलिया और देश के पूर्वी हिस्से में स्थित त्रिंकोमाली का भी दौरा करेंगे। मंत्रालय ने कहा, “राजनाथ सिंह की यह यात्रा श्रीलंका के साथ मौजूदा मैत्रीपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराएगी।”
साबित होगा मील का पत्थर
जारी किए गए बयान में कहा गया, “यह दोनों देशों के बीच दोस्ती के मजबूत बंधन बनाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।” दरअसल, द्वीप राष्ट्र पर कब्जा करने के लिए चीन के लगातार प्रयासों के बीच भारत ने श्रीलंका के साथ अपने रणनीतिक संबंधों का विस्तार करने का फैसला किया।
पिछले साल अगस्त में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज ‘युआन वांग’ की डॉकिंग के कारण भारत और श्रीलंका के बीच राजनयिक विवाद खड़ा हो गया था। इतना ही नहीं, पिछले महीने कोलंबो बंदरगाह पर एक और चीनी युद्धपोत रुका था।
भारत ने की सुरक्षा आवश्यकताओं में मदद
पिछले साल अगस्त में भारत ने श्रीलंका को डोर्नियर समुद्री निगरानी विमान दिया था। यह विमान श्रीलंका को भारतीय नौसेना की सूची से दिया गया था, ताकि देश की सुरक्षा आवश्यकता को पूरा करने में मदद मिले।
भारत स्वदेशी रूप से निर्मित अपतटीय गश्ती जहाज (ओपीवी) प्रदान करने के साथ ही श्रीलंकाई रक्षा बलों के विभिन्न क्षमता निर्माण उपायों में उन्हें समर्थन भी देता है। श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने जुलाई में भारत का दौरा किया था, जिस दौरान दोनों पक्षों ने अपने रक्षा और रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने का प्रण लिया था।