दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्या के मामले में आरोपित इरशाद अली को जमानत देने से हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि वह जमानत का दुरुपयोग कर सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है। गवाहों को धमका सकता है।
कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्या साल 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में CAA-NRC विरोधी हिंसा के दौरान इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ ने कर दी थी। इस मामले में मोहम्मद अयूब और शाहनवाज को जमानत मिल चुकी है। लेकिन इरशाद और सादिक की अर्जी खारिज हो चुकी है।
इरशाद अली की जमानत अर्जी पर सुनवाई जस्टिस सौरभ बनर्जी की बेंच ने की। आरोपित की तरफ से अधिवक्ता तनवीर और कर्तिक ने दलीलें दी। वहीं अभियोजन पक्ष से अमित प्रसाद ने बहस की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि FIR में IPC की 22 धाराओं सहित पीडीपीपी अधिनियम और शस्त्र अधिनियम जैसे सेक्शन लगे हैं जो केस की गंभीरता को दर्शाती है। साथ ही इरशाद अली की पहचान CCTV फुटेज से भी हुई है।
अदालत ने यह भी बताया कि तमाम गवाहों ने हिंसा में इरशाद अली की संलिप्तता स्वीकारी है। कोर्ट ने माना कि ऐसे में उसे जमानत देने से गवाहों के प्रभावित होने की आशंका है। कोर्ट ने माना है कि वीडियो फुटेज में हिंसा के दौरान इरशाद अली पूरी ताकत और जोश से बाकी लोगों को भड़का रहा था। उसकी इस हरकत को प्री प्लान मानते हुए अदालत ने इसे उसकी जमानत अर्जी ख़ारिज करने का पर्याप्त कारण माना है। हाई कोर्ट के मुताबिक सबूतों के आधार पर आरोपित इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि वह हिंसा के दौरान घटनास्थल पर मौजूद नहीं था।
बताते चलें कि सितंबर में ही अदालत ने कॉन्स्टेबल रतनलाल हत्याकांड में आरोपित अयूब और शाहनवाज, मोहम्मद खालिद को जमानत दी थी। हालाँकि सादिक नाम के एक अन्य आरोपित की जमानत अर्जी ख़ारिज हो चुकी है। कोर्ट ने अन्य आरोपितों की जमानत को इरशाद अली को बेल देने के मजबूत आधार नहीं माना। इरशाद अली को दिल्ली पुलिस ने फरवरी 2020 में हुए कॉन्स्टेबल रतनलाल हत्याकांड में 7 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भी दायर हो चुकी है।