वहीं, राहुल गाँधी के हिंदू विरोधी बयान को अलग परिप्रेक्ष्य देने की कोशिश द हिंदू ने की है और उनके बयान में से मंदिर का जिक्र ही हटा दिया है। द हिंदू ने लिखा, “सांसदों के साथ मूर्तियों जैसा व्यवहार किया जाता है और कानून बनाने की प्रक्रिया में उनके पास कोई शक्ति या भूमिका नहीं है।” अगर ऊपर दिए गए राहुल गाँधी के बयान को पढ़ें या सुने तो साफ हो जाएगा कि द हिंदू ने उनके बयान के साथ क्या खेल किया है। हालाँकि, मीडिया में कुछ वर्ग है, जो राहुल गाँधी की गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश करता है, लेकिन देश की सतर्क जनता से ये बातें छुप नहीं पाती हैं।कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने एक बार फिर हिंदू विरोधी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि संसद में चुनकर प्रतिनिधि मंदिर की मूर्तियों की तरह हैं। सिर्फ दिखावे के लिए। उनके पास कोई शक्ति नहीं है। हालाँकि, राहुल गाँधी को पता ही नहीं है कि मंदिरों में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है, तब वे भगवान का दर्जा हासिल करते हैं। देश का न्यायालय भी भगवान को एक आईडेंटिटी मानता है। खैर, ये बातें राहुल गाँधी तब समझते, जब वे हिंदू धर्म को समझते। हालाँकि, उनकी इस नामसझ और हिंदू विरोधी बयान पर वामपंथी अखबार ‘द हिंदू’ ने लीपा-पोती करने की कोशिश की है।
दरअसल, राहुल गाँधी महिला आरक्षण और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के बारे में कॉन्ग्रेस के विचार रख रहे थे। इस दौरान उन्होंने OBC आरक्षण की भी बात छेड़ दी। राहुल ने कहा- लोकसभा को टेंपल ऑफ डेमोक्रेसी कहा जाता है। आप किसी भी बीजेपी के एमपी से पूछ लीजिए कि क्या वो कोई भी डिसिजन लेता है? कोई कानून बनाता है? कोई कानून बनाने में भाग लेता है? बिल्कुल नहीं। ना कॉन्ग्रेस का एमपी इस लोकसभा में और ना बीजेपी का एमपी और ना इंडिया का कोई और एमपी डिसिजन नहीं लेता है।”
राहुल गाँधी ने आगे कहा, “MPs को… जैसे मंदिर में मूर्ति होती है वैसे मूर्तियाँ बना रखी हैं। और OBC की वहाँ पर मूर्तियाँ भर रखी हैं, मगर पावर बिल्कुल नहीं है। देश को चलाने में कोई भागीदारी नहीं है। ये सवाल मैंने उठाया है। हर OBC युवा को समझना है कि क्या आपको इस देश को चलाने में भागीदारी मिलनी चाहिए या नहीं। अगर मिलनी चाहिए तो क्या आपकी आबादी सिर्फ 5 प्रतिशत है?” इस वीडियो में आप राहुल गाँधी को 4:25 से 5:45 तक सुन सकते हैं।
वहीं, राहुल गाँधी के हिंदू विरोधी बयान को अलग परिप्रेक्ष्य देने की कोशिश द हिंदू ने की है और उनके बयान में से मंदिर का जिक्र ही हटा दिया है। द हिंदू ने लिखा, “सांसदों के साथ मूर्तियों जैसा व्यवहार किया जाता है और कानून बनाने की प्रक्रिया में उनके पास कोई शक्ति या भूमिका नहीं है।” अगर ऊपर दिए गए राहुल गाँधी के बयान को पढ़ें या सुने तो साफ हो जाएगा कि द हिंदू ने उनके बयान के साथ क्या खेल किया है। हालाँकि, मीडिया में कुछ वर्ग है, जो राहुल गाँधी की गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश करता है, लेकिन देश की सतर्क जनता से ये बातें छुप नहीं पाती हैं।
RahulG actually said that MPs are powerless like the deities in the temples.@the_hindu dutifully covers up for him by lying to us that Rahul said -"The MPs have been treated like statues".
The loyalty @nramind and @nambath exhibit to RaGa is really something. pic.twitter.com/4lf1PGuPdE
— S. Sudhir Kumar (@ssudhirkumar) September 23, 2023
वहीं, राहुल गाँधी के इस बयान पर भाजपा ने निशाना साधा है। भाजपा के पूर्व महासचिव पी मुरलीधर राव ने X पर पोस्ट में लिखा, “हिंदू विरोधी राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस एक बार फिर बेनकाब हो गए हैं! अगर राहुल गाँधी को लगता है कि मंदिरों में मूर्तियाँ शक्तिहीन और निर्जीव हैं तो वे इतने सारे मंदिरों में क्यों जा रहे हैं? हिंदुओं के लिए इससे अधिक अपमानजनक कुछ और नहीं हो सकता। हालाँकि, हिंदुओं की भावनाओं को आहत करना चुनावी हिंदू राहुल गाँधी के लिए कोई नई बात नहीं है।
Anti Hindu @RahulGandhi and Congress stands exposed again!
Why Rahul Gandhi visiting so many temples if he feels #Murtis in temples are #powerless and #lifeless??
It can't be more insulting than this for hindus, however hurting hindus sentiments is not new for #ElectionHindu… pic.twitter.com/JgUi0R7XMB
— P Muralidhar Rao (@PMuralidharRao) September 22, 2023
दरअसल, मुस्लिम वोटबैंक के दबाव में हिंदुओं की प्रथा और संस्कृति से दूर रहने वाली कॉन्ग्रेस और उसके नेता साल 2014 के बाद से मंदिरों में नजर आने लगे हैं। राहुल गाँधी और उनकी प्रियंका गाँधी कई बार मंदिरों में पूजा करने पहुँचे। इस दौरान इन लोगों ने जमकर फोटो सेशन भी कराया और खुद को हिंदू बताया। इतना ही नहीं, राहुल गाँधी ने तो एक जनेऊ भी दिखाया था। हालाँकि, गाँधी परिवार हिंदू होने का दिखावा कर रहा है, लेकिन हिंदुओं की भावनाओं को आहत करना अभी छोड़ा नहीं है।