मणिपुर में शांति कायम करने की तमाम कोशिशें मानो विफल हो चुकी है. मई महीने में शुरू हुई हिंसा आज भी जारी है. हजारों की संख्या में सैन्य बल तैनात हैं. पैरामिलिट्री से लेकर रैपिड एक्शन फोर्स तक के जवान राज्य में भेजे गए हैं लेकिन कथित रूप से हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है. इस बीच केंद्र सरकार ने कुछ चुनिंदा अधिकारियों पर भरोसा जताया है और उन्हें मणिपुर में हालात को काबू करने के लिए नियुक्त किया है.
सरकार मणिपुर में जिलेवार सैन्य टुकड़ी को जिम्मेदारी सौंपने वाली है. मसलन, एक फोर्स, एक जिला की नीति पर काम चल रहा है. इससे हिंसा को काबू करने में आसानी होगी. साथ ही सुरक्षा बलों के बीच किसी भी संभावित विवाद को कम किया जा सकेगा. इनके अलावा सरकार का मानना है कि इससे जवाबदेही तय हो पाएगा.
2012 बैच के आईपीएस अधिकारी की मणिपुर में आखिरी पोस्टिंग 2017 में चुराचांदपुर जिले के एसपी के रूप में थी. इसके बाद वह एनआईए में शामिल कर लिए गए. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी में उन्होंने तीन साल काम किया. इस दौरान वह पुलवामा हमले की जांच में शामिल हुए, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवानों की जान चली गई थी.
इसके बाद वह एजीएमयूटी यानी अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिज़ोरम और केंद्र शासित प्रदेश कैडर में भेज दिए गए और फिर 2021 में श्रीनगर एसएसपी के तौर पर तैनात किए गए. वह जम्मू में उधमपुर के रहने वाले हैं.
आईपीएस राजीव सिंह
आईपीएस राजीव सिंह फिलहाल मणिपुर के डीजीपी हैं. वह त्रिपुरा कैडर के अधिकारी हैं. राज्य में 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद हालात काफी बिगड़ गए थे. इस बीच 1 जून को उन्हें पी डौंगेल की जगह डीजीपी के तौर पर नियुक्त किया किया गया था.
पूर्व आईपीएस कुलदीप सिंह
मई महीने में केंद्र सरकार ने पूर्व आईपीएस अधिकारी कुलदीप सिंह को इंफाल भेजा था. वह सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल के पद पर भी काम कर चुके हैं. फिलहाल इंफाल में वह सरकार के सिक्योरिटी एडवाइजर हैं.
पूर्व कर्नल नेक्टर संजेबम
पिछले महीने मणिपुर सरकार ने 21 पैरा स्पेशल फोर्सेज के वरिष्ठ अधिकारी और पूर्व कर्नल नेक्टर संजेबम को एसएसपी (कॉम्बैट) के रूप में नियुक्त किया है. 2015 में म्यांमार सीमा के आसपास सर्जिकल स्ट्राइक में उनकी बड़ी भूमिका रही है. वह नेशनल डिफेंस एकेडमी के एल्युमिनी हैं और पिछले साल ही रिटायर हुए हैं. मणिपुर में वह पहले भी काम कर चुके हैं.