हाल के कुछ उप चुनावों में दलितों का वोट समाजवादी पार्टी को मिलने के बाद लखनऊ में बीजेपी के दलित नेताओं की आज एक बड़ी बैठक बुलाई गई है. इस मीटिंग में पार्टी के सभी ज़िम्मेदार दलित नेताओं को बुलाया गया है. यूपी से एससी समाज के 17 सांसद चुने गए हैं. पार्टी के दलित विधायकों की संख्या 65 है. इन सबको इस बैठक में बुलाया गया है. बैठक का एजेंडा अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव है, जिसमें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने मिशन 75 प्लस का लक्ष्य रखा है.
यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं और बीजेपी का लक्ष्य 75 सीटें जीतने का है. पार्टी की सबसे बड़ी चिंता ये है कि दलित वोटरों का झुकाव हाल के कुछ उप चुनावों में समाजवादी पार्टी की तरफ़ बढ़ा है. ये पार्टी के लिए ख़तरे की घंटी है. यूपी के लिहाज़ से राजनैतिक तौर पर ये सोच रही है कि समाजवादी पार्टी को दलित समाज अपना नहीं मानता है. लगातार दो लोकसभा चुनावों और दो विधानसभा चुनावों में यही ट्रेंड रहा. जाटव बिरादरी को छोड़ दें तो एससी समाज की दूसरी जातियों जैसे वाल्मीकि, खटीक, पासी और सोनकर वोटरों ने बीजेपी को वोट किया.
फिर ऐसा क्या हो गया कि घोसी के उप चुनाव में इसी समाज के लोगों ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया? जाटव तो मायावती और उनकी पार्टी बीएसपी के लिए वोट करते रहे हैं, लेकिन घोसी के चुनाव में इस समाज के कुछ वोटरों ने समाजवादी पार्टी का साथ दे दिया. इस बदलाव से बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व बहुत चिंतित है. इसीलिए तय हुआ है कि लोकसभा चुनावों से पहले सब ठीक कर लिया जाए. लखनऊ में बीजेपी के दलित नेताओं की बैठक में लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर चर्चा होगी.
पीएम मोदी ने दलित के लिए जितना किया, किसी ने नहीं किया – बीजेपी विधायक
मीटिंग में जाने से पहले बीजेपी के राज्यसभा सांसद बृजलाल ने बताया कि मोदी सरकार ने एससी समाज के लिए जितना किया है उतना काम तो देश की आज़ादी के बाद कभी नहीं हुआ है. उन्होंने कहा शौचालय, पीएम आवास, मुफ़्त राशन और उज्जवला योजना में सबसे अधिक फ़ायदा दलितों को मिला है. उन्होंने कहा कि हम अपने समाज के लोगों को जाकर बताएंगे कि हमारी सरकार ने आपके लिए क्या-क्या किया है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसी महीने लखनऊ में संघ की बैठक में दलितों को अपना बनाने पर ज़ोर दिया था. इसके लिए कई तरह के कार्यक्रम भी तय किए गए हैं. बीजेपी, आरएसएस और उससे जुड़े तमाम संगठन अब इस पर आगे कार्यक्रम करेंगे. इसमें दलित बस्तियों में सामूहिक भोज से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम करने तक की योजना है. बीजेपी दलित समाज की अलग अलग जातियों के लिए अलग-अलग रणनीति बनाने में जुटी है.
लोकसभा में उत्तर प्रदेश में हो सकता है तिकोना मुकाबला
अगले लोकसभा चुनाव में यूपी में अधिकतर सीटों पर तिकोना मुक़ाबला होने की संभावना है. एक तरफ़ बीजेपी है तो दूसरी और कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आरएलडी का गठबंधन हो सकता है. कुछ सीटों पर बीएसपी भी मुक़ाबले को दिलचस्प बना सकती है. ऐसे में दलित वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं. बीजेपी ने अपना दल, सुहेलदेव समाज पार्टी और निषाद पार्टी के साथ चुनावी तालमेल कर पिछड़ी बिरादरी का समीकरण ठीक कर लिया है. इसीलिए बीजेपी ने पूरी ताक़त दलित वोटरों को अपना बनाए रखने में लगा दी है.
लोकसभा में उत्तर प्रदेश में हो सकता है तिकोना मुकाबला
अगले लोकसभा चुनाव में यूपी में अधिकतर सीटों पर तिकोना मुक़ाबला होने की संभावना है. एक तरफ़ बीजेपी है तो दूसरी और कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आरएलडी का गठबंधन हो सकता है. कुछ सीटों पर बीएसपी भी मुक़ाबले को दिलचस्प बना सकती है. ऐसे में दलित वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं. बीजेपी ने अपना दल, सुहेलदेव समाज पार्टी और निषाद पार्टी के साथ चुनावी तालमेल कर पिछड़ी बिरादरी का समीकरण ठीक कर लिया है. इसीलिए बीजेपी ने पूरी ताक़त दलित वोटरों को अपना बनाए रखने में लगा दी है.