सिक्किम में मंगलवार देर रात बादल फटने के बाद तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ से भारी तबाही मची है. कई इलाकों में पहाड़ से आया पानी और मलबा भर गया. इसके साथ ही कई पुल और सड़कें बह गईं और करीब 100 लोग लापता हैं. इस बीच वाराणसी से गंगटोक घूमने गए 45 बच्चों का सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया है. सभी बच्चे बाढ़ में फंस गए थे, जिसकी जानकारी मिलने पर सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने मौके पर रेस्क्यू टीम भेजी.
मौसम विभाग ने सिक्किम में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जो राहत और बचाव के काम में बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है. हालांकि पहला मौका नहीं है, जब सिक्किम ने इतनी बड़ी तबाही देखी हो. ठीक 55 साल बाद, दार्जिलिंग-सिक्किम क्षेत्र में एक बार फिर आपदा आई, जिसने इस क्षेत्र को एक बार फिर तबाह कर दिया. दार्जिलिंग-सिक्किम क्षेत्र में 2 और 5 अक्टूबर, 1968 के बीच चार दिनों तक लगातार बारिश हुई थी. इससे बड़े पैमाने पर भूस्खलन और बाढ़ आई, जिसकी वजह से संपत्ति और बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान हुआ. 1,000 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग विस्थापित हुए.
1968 में सिक्किम में मची थी तबाही
4 अक्टूबर 1968 को हुआ अंबूतिया भूस्खलन, दार्जिलिंग-सिक्किम क्षेत्र के इतिहास में सबसे विनाशकारी भूस्खलनों में से एक था. इसने 500 से अधिक लोगों की जान ले ली और एक पूरे गांव को दफन कर दिया. 1968 में भारी वर्षा कई कारकों के संयोजन के कारण हुई, जिनमें मानसून का मौसम अल नीनो और बंगाल की खाड़ी में कम दबाव प्रणाली का गठन शामिल था. बारिश इतनी तेज थी कि इससे नदियां उफान पर आ गईं और बांध टूट गए.
खत्म हो गया था अंबूतिया गांव
अंबूतिया भूस्खलन पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में हुआ था. यह दार्जिलिंग-सिक्किम क्षेत्र के इतिहास में सबसे विनाशकारी भूस्खलनों में से एक था. इसने 500 से अधिक लोगों की जान ली और एक पूरा गांव दफन कर दिया.
दफन हो गया था अम्बूतिया गांव
भूस्खलन दार्जिलिंग से लगभग 16 किलोमीटर दूर अंबूतिया गांव में हुआ था. यह एक भारी बारिश के बाद हुआ, जिससे पहाड़ियों से मिट्टी और चट्टानें बड़ी तादाद में नीचे की तरफ गिरी. भूस्खलन ने पूरे गांव में तबाही मचा दी थी. पूरा गांव कब्रगाह बन गया था, जिसमें कई घर, स्कूल और मंदिर शामिल थे.