बारूद से बोझल फिज़ा, जलते घर, मरते बच्चे, बूढ़े और जवान, मातम का शोर, आतंकी संगठन हमास के हमले के बाद इजराइल में बर्बादी के इस मंजर दुनियाभर में हलचल मच गई है. इजराइल के सैंकड़ों मासूम लोग मौत की नींद सो चुके हैं. लेकिन हमास की क्रूरता रुक नहीं रही है. हालांकि इजराइल ने भी फिलिस्तीन पर पलटवार कर दिया है. वहीं अब युद्ध क्षेत्र से जो तस्वीरें सामनें आ रही हैं वो दिल दहला देने वाली हैं.
बता दें कि इजराइल में कन्नडिगा (कर्नाटक) सहित कई भारतीय हैं, जो यहां के विभिन्न हिस्सों में बसे हुए हैं और उनके परिवार घर पर बेहद परेशान हैं. किसी महिला का पति वहां चला गया है, किसी की बड़ी बहन वहां है, को किसी का बेटा इज़राइल में है. लेकिन राहत की बात यह है कि वे सभी सुरक्षित हैं. वहीं इन लोगों से हमास के इजरायल पर हमले के बाद की ऐसी कहानियां सामने आ रही हैं, जो दिल दहलाने वाली हैं.
इजराइल से फोन पर दी घटना की जानकारी
इन लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक अगर बम हमला शुरू हुआ तो उन्हें बंकरों में ले जाया जाएगा. कुछ को होटलों में सुरक्षित रखा गया है और भोजन की व्यवस्था की गयी है. अगर कुछ कमी रह जाए तो तेल अवीव स्थित भारतीय दूतावास का स्टाफ मदद के लिए तैयार है. इन्होंने परिजनों को फोन कर घटना की जानकारी दी. वहीं बेलूर के परिवार अनुरोध कर रहे हैं कि भारत और कर्नाटक सरकार उन्हें वापस लाने की व्यवस्था करे.
उत्तर कन्नड़ जिले के 40 युवक युद्ध भूमि में फंसे
सैकड़ों कन्नडिगा इजराइल में काम करने गए हैं और युद्ध भूमि में फंस गए हैं. उत्तर कन्नड़ जिले के होन्नावर तालुक के कावलाक्की निवासी जेम्स मिरांडा (29) इजराइल के तेलवी के रशीद कोकमा स्ट्रीट में रहते हैं. वह युद्ध क्षेत्र से करीब 70 किमी दूर है. जेम्स पिछले एक साल से इजराइल में होम नर्सिंग में देखभालकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं. 7 अक्टूबर को जिस इलाके में वह रह रहे थे, उससे कुछ ही दूरी पर एक रॉकेट गिरा.
शिरसी की रहने वाली क्रिसोस्टोम पॉल वाज जहां युद्ध हो रहा है, वहां से 150 किलोमीटर दूर एक गांव हैपा में रहती हैं. वह पिछले चार वर्षों से होम नर्स के रूप में काम कर रही हैं. क्रिसोस्टॉम पॉल वाज़ मदकेरी जिले के शिमोगा के युवाओं के साथ रहती हैं. भटकला के 12, मुर्देश्वर के 29, शिरसी के 2 और होन्ना के एक समेत कुल 40 युवा इजराइल में हैं.
सायरन की आवाज पर बंकर में भागे
वहीं कारवार के बैथकोला निवासी ऑटो ड्राइवर रोजर लोपेज की पत्नी क्रिसमस पिछले 7 साल से इजराइल के तेलावी में होम नर्सिंग वर्कर के रूप में काम कर रही हैं. उन्होंने बताया है कि हम सुरक्षित हैं और सायरन की आवाज पर बंकर में चले जा रहे हैं. भोजन और सुरक्षा को लेकर कोई समस्या नहीं है. पति रोजर लोपेज ने कहा कि वो भारतीय दूतावास से संपर्क कर रहे हैं.
बम और रॉकेट की आवाज
वहीं शांति अल्मेडा जो कोलार जिले के मालूर की रहने वाली हैं, वो इजराइल के रबसा में रहती हैं. वह पिछले 10 वर्षों से होम नर्स के रूप में काम कर रही हैं. इजरायली सरकार द्वारा आपातकालीन सायरन बजाए जाने के बाद उन्होंने वर्तमान में एक बंकर में शरण ली है. इनके पति ग्राशन अल्मेडा मालूर में कार्यरत हैं और पत्नी शांति अल्मेडा इजराइल में अकेली रहती हैं. जिस क्षेत्र में वो हैं वहां कोई खतरा नहीं है. केवल बम और रॉकेट आवाज सुनाई देती है. शांति ने कहा कि वो सुरक्षित हैं.
इजराइल में बिंदूर के 20 से अधिक लोग
उडुपी जिले के बिंदूर के 20 से ज्यादा लोग इजराइल में फंस गए हैं. ब्युंदुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक गुरुराज गंतीहोल डेरिया ने कहा कि हम आपको सरकार के माध्यम से आवश्यक सेवाएं प्रदान करेंगे. विधायक गुरुराज गेंटिहोल ने इजराइल के बिंदूर स्थित क्लेरेंस उपुपांडा को वीडियो कॉल किया और वहां की स्थिति के बारे में जानकारी ली.
उडुपी की नर्स ने साझा किया युद्ध का खौफनाक मंजर
नर्स प्रमिला प्रभु ने बताया कि 7 अक्टूबर को रात लगभग 8.30 बजे मैंने अपना भोजन खत्म किया ही था कि एक आपातकालीन सायरन बज उठा. उन्होंने बताया कि इसके बाद वह तुरंत अपार्टमेंट के ग्राउंड फ्लोर पर बने बंकर में चली गईं. उन्होंने कहा कि शनिवार को हमास और इजराइल के बीच हिंसक संघर्ष शुरू होने के बाद उन्होंने तीन बार ऐसा ही किया. उडुपी जिले की प्रमिला प्रभु (41) तेल अवीव-याफो में रहती हैं और उन्होंने वहां के भयानक युद्ध हालात का विस्तार से खुलासा किया है.
सायरन बजने के 15 सेकेंड के अंदर फटते हैं बम
उन्होंने बताया कि वह पिछले छह साल से इजराइल में काम कर रही हैं, लेकिन कभी हिंसा को इस तरह बढ़ते नहीं देखा. तेल अवीव-याफ़ो से एक किलोमीटर दूर, जहां वह रहती हैं, उन्होंने बम फटने की आवाज़ सुनी. यहां हर घर, वाणिज्यिक और सरकारी संगठन में बंकर हैं और आप इसे सार्वजनिक स्थानों पर भी पा सकते हैं. सायरन बजने के 15-20 सेकेंड के अंदर बम फट जाते हैं.
एक अपार्टमेंट में 25-30 लोग
तेल अवीव-याफो में दुकानें बंद हैं. सड़क पर कम ही लोग चल रहे हैं. प्रमिला ने कहा कि युद्ध की स्थिति के कारण नागरिक खाद्य पदार्थों का भंडारण कर रहे हैं. लगभग 25-30 लोगों के साथ एक अपार्टमेंट में रहना. मैंने भोजन, पानी, टॉर्च और अन्य सामान सहित सभी आपातकालीन चीजें इकट्ठा कर ली हैं.
मोबाइल फोन उठाया और बेसमेंट की ओर भागी
उन्होंने बताया कि जैसे ही मैंने सायरन सुना, अपना मोबाइल फोन उठाया और बेसमेंट की ओर भागी. सायरन बंद होने के बाद हम वापस आ गए. हर बार हम लगभग 20-30 मिनट तक बंकर के अंदर थे. उडुपी के हर्गा गांव में जन्मी और पली बढ़ी प्रमिला ने मैसूर में पढ़ाई की और उडुपी और बेंगलुरु के मणिपाल अस्पतालों में काम किया. 35 साल की उम्र में, 3 और 7 साल के बच्चों के साथ नर्स के रूप में काम करने के लिए इज़राइल चली गईं.
हिंसा और हमले कोई नई बात नहीं
इजराइल में फिलिस्तीन की ओर से हिंसा और हमले कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार जो हुआ वो कल्पना से परे था. शुरुआत में दक्षिणी इज़राइल में एक संगीत समारोह पर हमला हुआ था. तभी से हमें दुखद समाचार सुनने को मिलने लगे. उन्होंने बताया कि यह देश हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहता है और सुरक्षा उपाय तुरंत उठाए जाते हैं.