इजराइल और आतंकी संगठन हमास के बीच जंग जारी है। हमास के बड़े हमले के बाद इजराइल ने गाजा पट्टी पर जोरदार पलटवार किया है। यह महज एक जंग नहीं बल्कि वैश्विक डिप्लोमेसी को बदल देने वाली घटना है। इजराइल एक यहूदी देश है, वहीं फिलिस्तीन मुस्लिम देश। फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास और इजराइल के बीच पुरानी अदावत है। इसी बीच हमास ने इजराइल पर शुक्रवार को बड़ा हमला किया। इसके बाद इजराइल बुरी तरह गाजा पट्टी को बर्बाद करने की कसम के साथ टूट पड़ा। एयर स्ट्राइक से कई इमारतें खंडहर बन गई। बिजली गुल होने से गाजा अंधकार में डूब गया। वहीं इजराइल के पीएम ने हमास को खत्म करने की कसम तक खा डाली है। जहां अमेरिका, तुर्की और यूरोपीय देश इजराइल के समर्थन में खड़े हुए हैं। वहीं दूसरी ओर मुस्लिम देश एक एक करके अब फिलिस्तीन की ओर जाते दिख रहे हैं। ऐसे में दो परंपरागत दुश्मन ईरान और सउदी अरब भी इस मामले में एकसाथ आ गए हैं।
ताजा हमलों पर दोनों देशों ने जताई चिंता
ईरान शिया बहुल देश है और सउदी अरब सुन्नी देश है। दोनों के बीच अदावत पुरानी है। लेकिन चीन में इसी साल दोनों देशों की सुलह हुई और दोनों शिया सुन्नी देश करीब आए। इसी बीच इजराइल और हमास की जंग के बीच दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुखों ने फोन पर बातचीत की है। ईरान तो अमेरिका और इजराइल का दुश्मन पहले से ही है। वहीं सउदी अरब के अमेरिका से अच्छे संबंध रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने भी दोनों देशों के बीच सुलह कराकर दोनों की मित्रता कराई थी। लेकिन जब हमास और इजराइल की ताजा जंग हुई तो ईरान और सउदी अरब करीब आ गए।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने बुधवार को एक ऐतिहासिक टेलीफोन कॉल पर बातचीत की। दोनों नेताओं ने 7 अक्टूबर को हमास के इजरायल पर हुए हमले पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने हमले के बाद फिलिस्तीन के आसपास तनाव को कम करने के तरीकों पर विस्तार से बात की है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने ऐसे समय में ईरान के नेता से चर्चा की जब ईरान पर हमास की सहायता करने का आरोप लग रहा है। ये बात अलग है कि ईरान ने अपने पर लगे आरोपों से इनकार कर दिया है।
45 मिनट तक फोन पर हुई बात
हाल ही में दोनों देशों के बीच चीन की मदद से दोनों क्षेत्रीय शक्तियों के बीच राजनयिक संबंधों की बहाली हुई है। सउदी प्रिंस और ईरानी राष्ट्रपति के बीच 45 मिनट तक बातचीत हुई। दोनों नेताओं के बीच बातचीत का मुख्य मुद्दा मौजूदा इजरायली-हमास संघर्ष था। दोनों के बीच हुई यह फोन कॉल लंबे समय से चले आ रहे संकट को दूर करने के कूटनीतिक प्रयासों में एक जरूरी कदम के तौर पर बताई जा रही है।