भागलपुर के मुन्ना पांडे की फांसी की सजा पर कोर्ट ने रोक लगा दी है. 11 साल की बच्ची के साथ रेप मामले में मुन्ना पांडे को सजा सुनाई गई थी. पटना हाईकोर्ट ने मुन्ना पांडे की फांसी की सजा पर रोक लगा दी और उसे बेकसूर करार दिया है. मामला भागलपुर जिले के सबौर थाना क्षेत्र का है. सबौर पुलिस ने मुन्ना पांडे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. 2015 में सबौर थाना में मामला दर्ज होने के बाद करीब दो साल तक इसपर सुनवाई हुई और दो फरवरी 2017 में भागलपुर के अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में मुन्ना पांडेय दोषी साबित हुआ. कोर्ट ने उसे मामले में मृत्यु दंड यानि फांसी की सजा सुनाई.
इसके बाद मुन्ना पांडे फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट पहुंचा. लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली. इस मामले में 10 अप्रैल, 2018 को पटना हाईकोर्ट ने भी जिला सत्र न्यायालय के निर्णय को सही बताया और फांसी की सजा बरकरार रखा.
सुप्रीम कोर्ट ने फिर सुनवाई का दिया निर्देश
तब आरोपी मुन्ना पांडेय भागलपुर के अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. वहां हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर कई सवाल खड़े किए , साथ ही SC ने पटना हाईकोर्ट को इस मामले से फिर से सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को सभी प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रतिप्रेषित किया और फिर से मामले की सुनवाई करके फैसला सुनाने का निर्देश दिया.
HC ने बताया बेकसूर
गुरुवार को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडेय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए मुन्ना पांडेय को मामले में बरी कर दिया. कोर्ट ने आरोपी को इस आधार पर बरी किया कि अभियोजन पक्ष ने उचित संदेह से परे अपना मामला साबित नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि केस रिकॉर्ड से स्पष्ट था कि मुन्ना पांडे को इस मामले में झूठा फंसाया गया है. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए मुन्ना पांडे को बेकसूर बताया.