दुनिया में रूस- यूक्रेन और इजरायल-हमास के बीच चल रहे युद्ध के तौर-तरीकों पर भारतीय सेना भी बारीकी से नजर रखे हुए है. उत्तरी सीमा पर चीन के सैन्य दबाव का सामना कर रही भारतीय सेना इन दोनों युद्धों से सबक सीखकर अपनी रणनीतियों में जरूरी बदलाव कर रही है. थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने एक कार्यक्रम में कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष ने जमीनी युद्ध के महत्व की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र भारत के साथ-साथ सीमा विवाद वाले देशों के मामले में “बेहद महत्वपूर्ण” रहेगा.
‘एलएसी पर हालात स्थिर’
चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने (General Manoj Pandey) कहा कि वहां स्थिति स्थिर बनी हुई है और सेना भविष्य की किसी भी सुरक्षा चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए अपनी समग्र युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. वैश्विक भू-राजनीतिक उथल-पुथल पर चर्चा करते हुए थलसेना प्रमुख ने कहा कि सेना ने रूस-यूक्रेन संघर्ष से जो महत्वपूर्ण सबक सीखा है, वह यह है कि वह सैन्य उपकरणों के आयात पर भरोसा नहीं कर सकती और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना बहुत जरूरी है. उन्होंने हिंद-प्रशांत को एक प्रमुख क्षेत्र बताते हुए कहा कि भारत को इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है.
‘चालीस हजार अग्निवीर सेना में शामिल’
थलसेना प्रमुख (General Manoj Pandey) दिल्ली में पहले चाणक्य संवाद के उद्घाटन समारोह में लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि 40,000 अग्निवीरों का पहला बैच सेना की विभिन्न इकाइयों में शामिल हो गया है और फील्ड इकाइयों से उनके बारे में प्रतिक्रिया उत्साहजनक रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध और हमास-इज़राइल संघर्ष दोनों में भूमि का महत्व होने के बीच समुद्री क्षेत्र पर वैश्विक ध्यान बढ़ाने के सवाल पर जनरल पांडे ने कहा कि भारतीय संदर्भ में भूमि युद्ध महत्वपूर्ण रहेगा. हालांकि उन्होंने विशेष संदर्भ नहीं दिया, लेकिन यह स्पष्ट था कि थलसेना प्रमुख चीन (China) के साथ सीमा मुद्दे का संकेत दे रहे थे.
‘हमारे मामले में भूमि क्षेत्र रहेगा अहम’
जनरल पांडे (General Manoj Pandey) ने कहा, ‘मैंने रूस-यूक्रेन संघर्ष से सीखे गए सबक के बारे में उल्लेख किया है. अगर मैं प्रमुख सबक में से एक पर ध्यान दे सकता हूं तो मुझे लगता है कि जमीन युद्ध का एक प्रमुख क्षेत्र बनी रहेगी, खासकर उन मामलों में जहां आपने सीमाओं पर संघर्ष किया है जैसा कि हमारे मामले में है. मुझे लगता है कि जीत का सूचक भूमि क्षेत्र में होना चाहिए. मुझे लगता है कि भूमि क्षेत्र का महत्व हमारे मामले में बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है.’
‘निभाते रहेंगे अपनी जिम्मेदारी’
भारत के बढ़ते वैश्विक महत्व के बारे में जनरल पांडे (General Manoj Pandey) ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा. बढ़े कद के साथ, ‘हमारे पास अतिरिक्त जिम्मेदारियां होंगी और इसके साथ ही हमें कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. इस सबमें, हमें उत्तर देने या प्रतिक्रिया देने के बजाय सक्रिय रहने की जरूरत होगी. हमें अपनी रणनीतियों को आकार देने में सक्षम होना चाहिए. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के लिए जिम्मेदारियां, अवसर और चुनौतियां होंगी.’
‘पिछला साल रहा चुनौतीपूर्ण’
आर्मी चीफ (General Manoj Pandey) ने कहा, ‘मुझे लगता है कि राष्ट्र प्रगति पर है, चाहे वह आर्थिक विकास हो, तकनीकी प्रगति हो या विश्व क्षेत्र में राष्ट्र का प्रभाव हो.’ थलसेना प्रमुख ने सेना के लिए पिछले एक साल की अवधि को चुनौतीपूर्ण लेकिन संतोषजनक बताया. उन्होंने कहा, ‘जहां तक सीमा पर अभियानगत स्थिति का सवाल है, तो मैं कहूंगा कि यह स्थिर है और हमने आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से उस तरीके से निपटा है जिसकी हमसे अपेक्षा की जाती है.’
‘वक्त के साथ कर रहे बदलाव’
युद्ध के बदलते तरीके पर प्रकाश डालते हुए जनरल पांडे (General Manoj Pandey) ने कहा, ‘इसके जरिए मैं, रूस-यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में जो कुछ हम देख रहे हैं, उसकी ओर इशारा कर रहा हूं.’ उन्होंने कहा, ‘आपके पास नए क्षेत्र हैं- चाहे वह साइबर हो, चाहे वह अंतरिक्ष हो, चाहे वह सूचना युद्ध हो, विमर्श की लड़ाई हो या अन्य. ये सभी संकेत देते हैं कि भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सक्षम होने के लिए हमें बेहतर ढंग से और भविष्य के लिए तैयार रहने की जरूरत है. इन सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए, मुझे लगता है कि हमें बदलाव की जरूरत है और हम यही कर रहे हैं.’