भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के उस प्रस्ताव की वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया, जो इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष को रोकने की अपील पर था। इजरायरल पर हमला करने वाले इस्लामी आतंकी संगठन हमास का जिक्र तक इस प्रस्ताव में नहीं था, इसलिए भारत ने खुद को वोटिंग से दूर रखा। शुक्रवार (27 अक्टूबर, 2023) को यूएनजीए में जॉर्डन के पेश प्रस्ताव में गाजा पट्टी में बेरोकटोक मानवीय मदद पहुँचाने को लेकर भी अपील की गई।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्य देश 10वें इमरजेंसी स्पेशल सेशन के लिए बुलाए गए थे। इस सेशन में जॉर्डन के पेश किए इस मसौदा प्रस्ताव पर वोटिंग की गई। ये प्रस्ताव बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण अफ्रीका सहित 40 से अधिक देशों ने सह-प्रायोजित किया था।
इजरायल और हमास के संघर्ष विराम को लेकर पेश किए गए इस प्रस्ताव का शीर्षक ‘नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखना’ था। इसके पक्ष में 120 देशों ने वोट किया। वहीं 14 ने इसके खिलाफ वोट दिया तो 45 देशों ने वोटिंग में भाग ही नहीं लिया।
गौरतलब है कि इस प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत सहित इटली, यूके, कनाडा, यूक्रेन, जर्मनी और जापान दूर रहे। वहीं अमेरिका ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। हालाँकि भारत के पड़ोसी देश नेपाल और पाकिस्तान समर्थन में उतरे और इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया।
इस प्रस्ताव से दूरी बनाने वाले देशों को जार्डन के तैयार किए गए प्रस्ताव में आतंकवादी समूह हमास का कोई जिक्र न होने से खासा रोष दिखा। अमेरिका ने बुराई का जिक्र न करने की इस चूक पर नाराजगी जाहिर की।
At this juncture, the most immediate step is clear – the violence must cease, and further bloodshed must be prevented.
I call for the prompt and unconditional release of all hostages, an immediate, unconditional humanitarian ceasefire, and the immediate, unconditional opening of… pic.twitter.com/xGALRrHnfT
— UN GA President (@UN_PGA) October 26, 2023
गौरतलब है कि इस प्रस्ताव पर आम सभा में वोटिंग से पहले इस मामले में कनाडा के प्रस्तावित और अमेरिका के सह-प्रायोजित एक संशोधन पर विचार किया गया। कनाडा के प्रस्तावित संशोधन में एक पैराग्राफ डालने के लिए कहा गया।
इस पैराग्राफ में कहा गया कि महासभा 7 अक्टूबर 2023 को इज़रायल में शुरू हुए हमास के हमले को आतंकवादी हमला मानती है, इसकी निंदा करती है। इन आतंकियों द्वारा जो बंधक बनाए गए हैं, उनकी सुरक्षा की माँग करती है। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत बंधकों की भलाई और उनसे मानवीय व्यवहार के साथ-साथ उनकी तत्काल और बगैर शर्त रिहाई की अपील करती है।
भारत और अन्य 87 देशों ने इस संशोधन के पक्ष में मतदान किया। वहीं 55 सदस्य देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया और 23 गैरहाजिर रहे। लेकिन मौजूद रहे और वोट करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत न मिलने की वजह से इस संशोधन को अपनाया नहीं जा सका। हालाँकि यूएनजीए अध्यक्ष फ्रांसिस ने कहा, “इस वक्त सबसे तात्कालिक कदम स्पष्ट है कि हिंसा बंद होनी चाहिए और आगे रक्तपात को रोका जाना चाहिए। मैं सभी बंधकों की शीघ्र और बिना शर्त रिहाई, बिना शर्त मानवीय युद्धविराम और मानवीय मदद और राहत के लिए तत्काल, बगैर शर्त गलियारे खोलने का आह्वान करता हूँ।”
भारत ने जॉर्डन के पेश किए इस प्रस्ताव पर दूरी ही नहीं बनाई बल्कि आतंकवाद पर हमास को आड़े हाथों लिया। यूएन में भारत की उप दूत योजना पटेल ने इजरायल पर हमास के आतंकी हमले पर दुख जताते हुए कहा कि आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने इजरायली बंधकों की तुंरत रिहाई की अपील की।
दरअसल 7 अक्टूबर को आतंकवादी समूह हमास के इजरायल पर किए खौफनाक हमलों में 1400 से अधिक लोगों के मारे जाने के बाद इज़रायल ने हमास के खिलाफ बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई शुरू की है। इसे लेकर ही हमास और इस्लामी आतंकियों के हिमायती यूएनजीए में प्रस्ताव लेकर पहुँचे थे।