ज्ञानवापी परिसर में एएसआई का सर्वे का कार्य पूरा हो गया है, लेकिन पूरी सर्वे रिपोर्ट अभी नहीं बन पाई है। आज 2 नवंबर को एएसआई को न्यायालय में रिपोर्ट जमा करनी थी। एएसआई ने आज जनपद न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन का समय मांगा। न्यायालय ने एएसआई को को 15 दिन का समय दिया है और 17 नवम्बर को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन ने बताया कि आज एएसआई का सर्वे का कार्य पूरा हो गया है। अब केवल रिपोर्ट तैयार करने का कार्य ही शेष रह गया है। न्यायालय ने एएसआई को 15 दिन का समय दिया है।
उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी स्थित सील वजूखाने को छोड़कर शेष अन्य हिस्से का सर्वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने किया है। रडार व कॉर्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग किया गया है। 35 से अधिक सदस्यों द्वारा ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया किया गया।
आठ बिंदुओं पर सर्वे की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। पहले बिंदु में वैज्ञानिक जांच में देखा जाएगा कि क्या ढांचे का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर की संरचना के ऊपर किया गया था। दूसरे बिंदु में पश्चिमी दीवार की उम्र और प्रकृति की जांच की गई है। तीसरे बिंदु में अंदर मिली कलाकृतियों को सूचीबद्ध किया गया है। इन सभी की वैज्ञानिक जांच की गई है। तीनों गुम्बदों के नीचे सर्वे किया गया है। इमारत की उम्र और निर्माण की प्रकृति को लेकर भी सर्वे किया गया है।
तहखाने के प्रकरण में सुनवाई 8 नवम्बर को
ज्ञानवापी परिसर में स्थित तहखाने के मामले में अब 8 नवंबर को सुनवाई होगी। सोमनाथ व्यास के नाती शैलेन्द्र पाठक की ओर से दाखिल वाद में मांग की गई है कि ज्ञानवापी परिसर से लगे हुए तहखाने को जिलाधिकारी वाराणसी को सौंप दिया जाय। वादी की ओर से कहा गया है कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी इस तहखाने पर कब्जा करना चाहती है। इसलिए इस तहखाने को जिलाधिकारी को सौंपा जाए। वादी का कहना है कि वर्ष 1993 के पहले तक उनके पूर्वज वहां पूजा – पाठ करते थे मगर उसके बाद सरकार के आदेश से वहां पर बैरिकेडिंग कर दी गई थी। इसके पश्चात वहां पूजा – पाठ बंद हो गई थी। आज न्यायालय में दोनों पक्षों ने अपना – अपना तर्क प्रस्तुत किया। जिला जज ने कहा कि इस मामले में त्वरित सुनवाई जैसा कोई विषय नहीं लग रहा है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी 6 नवम्बर तक अपनी आपत्ति दाखिल करे। इस मामले की अगली सुनवाई 8 नवम्बर को होगी।
उल्लेखनीय है कि हिन्दू पक्ष की तरफ से वर्ष 1991 में वाराणसी के जनपद न्यायालय में वाद दायर किया गया। वादकारियों की मृत्यु के बाद वर्ष 2019 के दिसंबर माह में इस मुकदमे के वाद मित्र ने न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी कि “15 अगस्त 1947 के पहले ज्ञानवापी परिक्षेत्र क्या था, इसका पता लगाने के लिए उत्तर प्रदेश के पुरातत्व विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे कराया जाय।” उक्त अर्जी वाराणसी जनपद न्यायालय में अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी की तरफ से दायर की गई थी। उन्होंने यह अर्जी प्राचीन मूर्ती स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर नाथ की ओर से वाद मित्र के तौर पर दाखिल की थी। इस मुकदमे को वर्ष 1991 में सोमनाथ व्यास और डॉ.राम रंग शर्मा ने दायर किया था। इन दोनों वादकारियों की मृत्यु हो जाने के बाद अदालत ने पूर्व शासकीय अधिवक्ता (सिविल ) विजय शंकर रस्तोगी को मुकदमे का वाद मित्र नियुक्त किया था। शैलेन्द्र पाठक सोमनाथ व्यास के नाती हैं।