राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने रामायण और महाभारत को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने वाली खबरों के दावों को सिरे नकार दिया है। दरअसल, इससे पहले ऐसी खबर आई थी कि NCERT के पैनल ने स्कूलों में बच्चों को रामायण और महाभारत महाकाव्यों को पढ़ाने की सिफारिश की है।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि यह सिफारिश एक उच्च-स्तरीय पैनल ने की थी। इस पैनल के अध्यक्ष और इतिहासकार रिटायर्ड प्रोफेसर सीआई आईजैक के नेतृत्व वाली सामाजिक विज्ञान कमेटी ने कथित तौर पर इतिहास के पाठ्यक्रम को तीन की जगह चार खंडों में करने के साथ ही मौजूदा पाठ्यक्रम में कई संशोधनों का प्रस्ताव दिया था।
अब NCERT ने मीडिया में आई इन रिपोर्ट्स का खंडन किया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, NCERT ने कहा है कि ऐसी कोई कमेटी नहीं है और प्रोफेसर आईजैक ने जो कुछ भी कहा है वह उनकी निजी राय है। शिक्षा निकाय ने उनके ऐसे दावों पर सख्त एतराज जताते हुए इसे सिरे से नकार दिया है।
गौरतलब है कि रिटायर्ड प्रोफेसर आईजैक ने कहा था, “शास्त्रीय काल के तहत, हमने सिफारिश की है कि भारतीय महाकाव्यों-रामायण और महाभारत को पढ़ाया जाए। हमने सिफारिश की है कि छात्रों को राम कौन थे और उनका उद्देश्य क्या था और थोड़ा महाकाव्य के बारे में पता हो।”
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ये सिफारिशें जुलाई में बनाई गई 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण शिक्षण सामग्री समिति (एनएसटीसी) को भेजी गई थीं। यह समिति हर कक्षा के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकें और शिक्षण सामग्री बनाने की प्रभारी है। हालाँकि, रामायण और महाभारत को पाठ्यक्रम में लाने सम्बन्धी कोई भी आधिकारिक निर्णय अभी नहीं हुआ है।
एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के मुताबिक स्कूल पाठ्यक्रम को संशोधित कर रहा है। इसके मुताबिक नई एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकें आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए तैयार होने का अनुमान लगाया गया है।