पत्रकारों से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीपफेक पर चिंता जताई थी। इसके बाद IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि डीपफेक को लेकर मोदी सरकार गंभीर है और इसको लेकर 10 दिनों में कानून बनाएगी। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि डीपफेक की निगरानी के लिए एक अधिकारी को नियुक्त किया गया है और यह अधिकारी इससे संबंधित मामलों में FIR दर्ज कराने में आम लोगों की शिकायत करेगा।
डीपफेक को लेकर राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार (24 नवंबर 2023) को कहा, “आज से भारत सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय आईटी एक्ट के रूल 7 के तहत एक अधिकारी को नामित करेगा। रूल 7 अफसर एक ऐसा व्यक्ति होगा, जो एक ऐसा मंच तैयार करेगा, जहाँ नागरिकों के लिए प्लेटफार्मों द्वारा कानून के उल्लंघन की रिपोर्ट भारत सरकार के ध्यान में लाना बहुत आसान होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “रूल 7 अफसर उस डिजिटल प्लेटफॉर्म की जानकारी लेंगे और उसके अनुसार प्रतिक्रिया देंगे। इस तरह हम नागरिकों के लिए कानून के उल्लंघन की रिपोर्ट करना बहुत सरल बना देंगे। डीपफेक के अलावा भारत में इंटरनेट पर प्रतिबंधित बाल यौन शोषण से संबंधी सामग्री सहित कई अन्य श्रेणियाँ भी शामिल हैं, जिनको लेकर लोग रूल 7 अफसर से शिकायत कर सकेंगे।”
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर कहा कि इस मामले में मध्यस्थ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और यदि वे बताते हैं कि सामग्री कहाँ से उत्पन्न हुई है तो उस व्यक्ति या इकाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी, जिसने सामग्री पोस्ट की है। उन्होंने कहा कि सभी मीडिया प्लेटफॉर्म ने इस नियम को मानने की स्वीकृति दी है।
डीपफेक को लेकर केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सभी महत्वपूर्ण इंटरनेट प्रोवाइडर कंपनियों के साथ एक बैठक की थी। इससे पहले राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि केंद्र सरकार ने 24 नवंबर को गूगल, फेसबुक, यूट्यूब सहित महत्वपूर्ण ऑनलाइन प्लेटफार्मों को तलब किया है। इन सभी को चेतावनी दी गई है कि अगर वे अपनी साइट से डीपफेक कॉन्टेंट नहीं हटाते हैं तो उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इसके पहले आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव का कहना है कि सरकार अगले 10 दिन के अंदर इसको लेकर कानून लाएगी। वैष्णव ने डीपफेक पर बढ़ती चिंताओं पर कहा था कि इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार नया क़ानून लाएगी या पुराने क़ानून में संशोधन करेगी। उन्होंने ऐसे वीडियो बनाने वालों पर कार्रवाई करने की भी बात कही थी।
वैष्णव ने कहा था, “सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से यह अपील की गई है कि वह अपने तकनीक का उपयोग करके डीपफेक पर नियंत्रण करें।” उन्होंने कहा कि डीपफेक सोशल मीडिया के जरिए तेजी से फैलते हैं और इनकी जाँच भी नहीं हो पाती है। उन्होंने समाज और लोकतंत्र में विश्वास को बनाए रखने के लिए ऐसे मामलों पर जल्दी एक्शन लेने की आवश्यकता बताई।
चीन और यूरोपीय यूनियन में कानून
बता दें कि डीपफेक भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के लिए चुनौती पैदा की है। इससे निपटने के लिए भारत ही नहीं, बल्कि यूरोपीय देश भी कानून बनाने की तैयारी कर रहे हैं। चीन ने तो इसको लेकर कानून जनवरी 2023 से लागू भी कर दिया है। वहीं, यूरोपीय यूनियन इसको लेकर तैयारी कर रहा है।
चीन ने बनाए गए नियम में कहा गया है कि अगर डीपफेक तकनीक से कोई वीडियो बनाया जाता है तो जिसका वीडियो है उसकी अनुमति लेनी जरूरी होगा। अगर कोई डीपफेक वीडियो बनाता है तो उसे बताना होगा कि कंटेंट में इस्तेमाल हुए फोटो या वीडियो से छेड़़छाड़ की गई है। इसको लेकर डिस्क्लेमर लगाना होगा।
वहीं, किसी भी तरह की फेक खबर के उद्देश्य से डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। नियमों को नहीं मानने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। इसकी निगरानी चीन का सायबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन करता है। चीन में यह कानून 10 जनवरी 2023 से प्रभावी है।
डीपफेक को लेकर यूरोपीय यूनियन ने भी कानून का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव के अनुसार, सोशल मीडिया कंपनियों से ऐसे कंटेंट को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने के लिए कहा जाएगा। उन्हें ऐसी जानकारियाँ हटाने के लिए कहा जाएगा, जो भ्रमित करने का काम कर रही हैं। अगर ये प्लेटफॉर्म इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।