महाराष्ट्र में एकनाथ शिंद और अजित पवार के साथ आने के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का कुनबा बढ़ गया है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (अजित गुट) के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने दिया है, लेकिन एक दिन बाद ही वो अपने बयान से पलट गए और बोले की अभी सीट शेयरिंग तय नहीं हुई. ऐसे में सवाल उठता है कि फडणवीस के दिए गए सीट बंटवारे के फॉर्मूले से क्या सीएम शिंदे और डिप्टीसीएम अजित पवार सहमत नहीं हैं, जिसके चलते उन्हें 24 घंटे के अंदर ही यू-टर्न लेना पड़ गया.
बीजेपी के दिग्गज नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक इंटरव्यू में कहा कि महाराष्ट्र में एनडीए दलों के सीट शेयरिंग को लेकर सहमति बन गई है. प्रदेश की 48 लोकसभा सीटों में से 26 सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ेगी जबकि शेष 22 सीटों पर शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित गुट) लड़ेंगे. बीजेपी किन 26 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और किन सीटों पर शिंदे और अजित गुट लड़ेंगे यह बात फडणवीस ने नहीं बताई.
सीट शेयरिंग पर बात से पलटे फडणवीस
फडणवीस ने कहा है कि सभी 48 सीटों का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और जीत की संभावना वाले प्रत्याशी की लिस्ट बना ली गई है. उन्हीं उम्मीदवारों को चुनाव का टिकट दिया जाएगा, जिनकी जीतने की संभावना होगी. 2019 में जो लोग लोकसभा सांसद बने थे, उन्हें फिर से उतारा जाएगा. हालांकि, दूसरे दिन ही फडणवीस लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर किए गए दावे से पलट गए. अब उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर अभी कुछ तय नहीं हुआ है. मैंने सिर्फ इतना कहा था कि जो लोग अपनी सीटों पर चुनाव लड़े, उनकी सीटें उनके पास ही रहेंगी. अगर इसमें कोई बदलाव करना होगा तो हम इस पर बात करेंगे.
सीटों को लेकर BJP, शिंदे और अजित में रस्साकशी
फडणवीस के बयान से एक दिन पहले ही डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा था कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी के बीच सीटों के बंटवारे पर कोई बातचीत नहीं हुई है. ऐसे में फडणवीस के महाराष्ट्र की आधी से ज्यादा लोकसभा सीटों पर बीजेपी के चुनाव लड़ने के दावे और सर्वे की बात कही, लेकिन इस फॉर्मूले पर शिंदे और अजित पवार के गुट के लोग सहमत नहीं दिख रहे हैं. कैंडिडेट चयन के लिए फडणवीस ने जिस तरह की बातें कही हैं, उससे शिंदे गुट और अजित गुट के लोगों की धड़कन बढ़ गई है. माना जा रहा है कि शिंदे और अजित पवार गुट के चलते ही फडणवीस को 24 घंटे के अंदर ही अपने बयान से पलटना पड़ गया.
बता दें कि बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में जब अविभाजित शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी, तब शिवसेना के लि 23 सीटें छोड़ी थीं. शिवसेना ने 18 सीटें जीती थीं जबकि बीजेपी ने 25 सीटों पर चुनाव लड़कर 23 सीटें जीतने में सफल रही थी. शिवसेना ने 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के साथ नाता तोड़कर एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था. एनसीपी ने 2019 में कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ी थी. एनसीपी खुद 19 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और एक सीट पर निर्दलीय को समर्थन किया था.
वहीं, 2022 में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने अपने समर्थकों के साथ उद्धव ठाकरे का तख्तापलट कर दिया था और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. ऐसे ही जुलाई 2023 में अजित पवार ने अपने करीबी नेताओं के साथ शरद पवार को बेदखल करके एनसीपी पर कब्जा जमा लिया और बीजेपी के साथ सरकार में शामिल हो गए. एकनाथ शिंदे अपने साथ जितने विधायकों को लेकर बीजेपी को समर्थन किया, उतनी ही संख्या में अजित पवार भी विधायक लेकर आए हैं. शिंदे मुख्यमंत्री हैं तो अजित पवार डिप्टीसीएम.
एकनाथ शिंदे और अजित पवार दोनों ही नेता एनडीए में अपनी-अपनी पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनावी मैदान में उतरना चाहती है. शिंदे 2019 चुनाव में शिवसेना जितनी सीटों पर चुनाव लड़ी थी, उतनी ही सीटों की डिमांड कर रहे हैं. इसी तरह अजित पवार अपनी एनसीपी के लिए सीट मांग रहे हैं, लेकिन बीजेपी के लिए यह संभव नहीं है. बीजेपी महाराष्ट्र में भले ही सत्ता की कमान एकनाथ शिंदे को सौंप दी हो, लेकिन बड़े भाई की भूमिका में खुद बनी रहना चाहती है.
महाराष्ट्र की 26 सीटों पर बीजेपी की नजर
बीजेपी ज्यादा से ज्यादा सीटें अपने पास रखना चाहती, क्योंकि पिछले चुनाव में 25 सीटों पर लड़ी थी और 23 सीटें जीती थी. बीजेपी इस बात को जानती है कि इसके चलते ही 26 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा फडणवीस ने किया है. बीजेपी 48 सीटों में से 26 सीटें अपने पास रखती है तो 22 सीटें बचती है, जो एकनाथ शिंदे और अजित पवार को बंटना है. 22 सीटों में से कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, यह बात भी सामने नहीं आई है. अजित पवार और शिंदे गुट के नेता पहले कह चुके हैं कि बराबर सीटों पर तीनों दल चुनाव लड़ेंगे.
सीट शेयरिंग को लेकर बिगड़ सकती है बात
महाराष्ट्र में बीजेपी-एकनाथ शिंद-अजित पवार के बीच सीट शेयरिंग फॉर्मूला सुलझाना आसान नहीं है. शिवसेना के टिकट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में जीते हुए 18 सांसद भी दोनों गुट में बंट गए हैं. 12 लोकसभा सदस्य एकनाथ शिंदे के साथ हैं तो 6 सांसद उद्धव ठाकरे के साथ हैं. एकनाथ शिंदे अपने साथ आए सभी 12 सांसदों को टिकट दिलाना चाहते हैं, लेकिन जिस तरह फडणवीस ने सर्वे के नाम पर टिकट देने की बात कही है, उसके चलते शिंदे गुट के कई नेता के चुनाव लड़ने के अरमानों को चकनाचूर कर सकती है. शिंदे भले ही सर्वे को आधार मान लें, लेकिन कम से कम 12 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी. ऐसे में 10 सीटें ही अजित गुट के लिए बच रही है, जिसे लेकर कशमकश में है. यही वजह है कि एनडीए में सीट शेयरिंग फॉर्मूले को बताकर यू-टर्न लेना पड़ा है?