उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन आए दिन सुर्खियों में रहता है. कभी मिसाइल लॉन्च, कभी सैटेलाइट लॉन्च, कभी साउथ कोरिया को धमकाने की वजह से दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. अब उसके सामने एक अलग तरीके की समस्या खड़ी होने लग गई है. हालांकि इसके लिए कोई आवाज उठाने की हिमाकत तक नहीं करेगा. दरअसल, दक्षिण कोरिया के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि उत्तर कोरिया में लोग गंजेपन का शिकार होने लग गए हैं. इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
साउथ अफ्रीका के विशेषज्ञों ने रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) से बातचीत में ये दावा किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि ये समस्या कई कारणों से सामने आई है. इसमें इंफेक्शन भी शामिल है, जिसके चलते बाल झड़ने लग गए हैं. साथ ही साथ साबुन और कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट का इस्तेमाल भी एक बड़ी वजह हो सकता है क्योंकि इसमें खतरनाक रासायनिक तत्व होते हैं.
उत्तर कोरिया के लोग नहीं उठा पाएंगे खर्च
उत्तर कोरिया के एक डॉक्टर चोई जियोंग हून दक्षिण कोरिया के सियोल में पब्लिक पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक सीनियर रिसर्चर के तौर पर काम कर रहे हैं. वह उत्तर कोरिया से भागकर दक्षिण कोरिया गए है. उनका कहना है कि उत्तर कोरियाई लोगों के लिए हल्के केमिकल प्रोडक्ट्स को ढूंढना आसान नहीं है. साथ ही साथ उनका कहना है कि बाल झड़ने की समस्या से निदान पाने के लिए एक सामान्य नागरिक इलाज का खर्च नहीं उठा सकता है.
सेना की टोपियां लगाने से भी हो सकते हैं गंजे
उत्तर कोरिया में स्वास्थ्य समस्याओं पर नजर रखने वाले एक ब्लॉग के प्रमुख अहं क्यूंग सू का कहना है कि उत्तर कोरिया में बालों के झड़ने का इलाज ओरिंटल मेडिसिन की तरह है. ये औषधीय जड़ी-बूटियों पर आधारित टॉपिकल टॉनिक हैं जिनका प्रभाव न्यूनतम होने की संभावना है. एक अन्य विशेषज्ञ ने यह भी तर्क दिया कि सेना की टोपियों में वेंटिलेशन नहीं होता है, जिसकी चलते बालों को नुकसान हो सकता है. हर समय टोपी लगी रहने की वजह से बैक्टीरिया पनप सकते हैं और रोम छिद्र बंद हो सकते हैं, जिसके चलते बाल पतले हो सकते हैं. उत्तर कोरिया में सभी पुरुषों को आमतौर पर सशस्त्र बलों में 10 साल की सेवा देनी होती है.