3 दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना विधानसभा चुनावों के नतीजे आए। तीन राज्यों में बीजेपी तो तेलंगाना में कॉन्ग्रेस को जीत मिली। कॉन्ग्रेस को बेदखल कर बीजेपी राजस्थान की सत्ता में वापसी करने में सफल रही है। लेकिन बीजेपी की इस शानदार जीत के बीच भी 26 साल का एक युवक चर्चे लूट रहा है।
इस युवक का नाम है, रविंद्र सिंह भाटी। बीजेपी से टिकट नहीं मिले पर उन्होंने शिव सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। जितनी चर्चा उनकी बगावत, उनके चुनाव लड़ने के तरीकों, प्रचार के दौरान उन्हें मिल रहे समर्थन की हुई, उससे कहीं ज्यादा चर्चे अब शिव विधानसभा सीट से उनकी जीत के हैं।
परमपुज्य बाबा गरीबनाथ जी की कृपा से #शिव_विजयी 🙏🙏 pic.twitter.com/B84vElLxAh
— Ravindra Singh Bhati (@RavindraBhati__) December 3, 2023
रविंद्र सिंह भाटी का जलवा ऐसा है कि निर्दलीय होने के बाद भी चुनाव प्रचार के दौरान ही उन्हें अलग-अलग दलों से जुड़े लोगों और आम जनता का भारी समर्थन सोशल मीडिया पर मिल रहा था। विशेषकर युवा वर्ग से। उन्होंने फतेह खान को 3950 वोटों से हराया है। फतेह खान भी निर्दलीय मैदान में थे। रविंद्र सिंह भाटी को कुल 79495 वोट मिले हैं।
ऐसा भी नहीं है कि भाटी को समर्थन केवल शिव में ही मिल रहा था। सोशल मीडिया पर राजस्थान सहित देश भर से लोगों ने उनका समर्थन किया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में भी उनकी जीत के लिए प्रार्थना हुई।
दरअसल, शिव विधानसभा क्षेत्र पाकिस्तान की सीमा से सटा इलाका है। रविंद्र, भाटी राजपूत हैं। इस समाज के लोग पाकिस्तान में भी हैं। आज भी इस समाज के दोनों तरफ के लोगों के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है। लिहाजा पाकिस्तान में रहने वाले इस समाज के लोग भी रविंद्र की जीत चाहते थे।
शिव में रविंद्र भाटी के जीतने के बाद आधी रात का नजारा pic.twitter.com/8eay3odIzv
— Avdhesh Pareek (@Zinda_Avdhesh) December 3, 2023
रविंद्र सिंह ने शिव का 70 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है। वह इससे पहले भी रिकॉर्ड तोड़ने के लिए ही जाने जाते रहे हैं। 2019 में राजस्थान के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के वे छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे। छात्रसंघ के 57 साल के इतिहास में वे पहले निर्दलीय अध्यक्ष थे।
रविंद्र सिंह का छात्र राजनीति से लेकर विधानसभा पहुँचने का सफ़र काफी दिलचस्प रहा है। वे बाड़मेर जिले के रहने वाले हैं, जिसके अंतर्गत यह शिव विधानसभा आती है। वे यहाँ के दुधौड़ा गाँव के निवासी हैं। उनका परिवार राजनीति से नहीं जुड़ा हुआ है। वह अपने घर के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो राजनीति में सक्रिय हुए हैं।
रविंद्र सिंह भाटी के पिता अध्यापक हैं। उनकी राजनीतिक सक्रियता की शुरुआत वर्ष 2016 से प्रारम्भ हुई, जब वह जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय पहुँचे। यहाँ छात्र नेताओं के सम्पर्क में आने के बाद वह भी छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए। 2019 में उन्होंने भारतीय विद्यार्थी परिषद से छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए टिकट माँगा था। लेकिन नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने यह चुनाव निर्दलीय लड़ा और जीत भी गए। उन्होंने NSUI और ABVP दोनों के उम्मीदवारों को हराया था।
वह 2019 से लेकर 2022 तक जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। इस दौरान दो वर्ष तक चुनाव कोरोना के कारण टलते रहे। इसके पश्चात रविंद्र दलीय राजनीति में आ गए। वे बीजेपी के टिकट पर शिव से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने नवम्बर 2023 में भाजपा की सदस्यता भी ली। लेकिन भाजपा ने इस सीट से स्वरुप सिंह खारा को टिकट दे दिया। इसके बाद रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय लड़कर इतिहास रच दिया है।