आर्टिकल 370 और 35-ए अब पूरी तरह सदा-सदा के लिए इतिहास की बातें हैं। सुप्रीम कोर्ट की पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की प्रक्रिया को सही करार दिया है। कोर्ट के मुताबिक अनुच्छेद 370 हटाने का केंद्र सरकार का फैसला संवैधानिक तौर पर सही है। यह फैसला J&K के एकीकरण के लिए था। अपना निर्णय सुनाते हुए कोर्ट ने माना:
- जम्मू-कश्मीर राज्य की कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं थी और भारतीय संविधान को जम्मू-कश्मीर राज्य में लागू करने के लिए राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता नहीं थी।
- अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था।
- विलय पत्र और उद्घोषणा (दिनांक 25 नवंबर 1949) पर हस्ताक्षर के बाद जम्मू-कश्मीर संप्रभुता का कोई तत्व बरकरार नहीं रखता है।
- अनुच्छेद 370 (3) के तहत राष्ट्रपति द्वारा शक्ति का प्रयोग भारतीय संविधान को उसकी संपूर्णता में लागू करना था।
- यह कदम केवल देश के बाकी हिस्सों के साथ जम्मू-कश्मीर राज्य के संवैधानिक एकीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए था।
सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार उल्लंघनों की जाँच के लिए सत्य एवं सुलह आयोग के गठन की भी सिफारिश की है। लद्दाख और जम्मू कश्मीर को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने को लेकर भी जजों ने टिप्पणी की है। 370 पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि भारत की संसद को यह अधिकार है कि वह जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना सके। अनुच्छेद 3(A) के मद्देनजर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले की वैधता को बरकरार रखते हैं। यह अनुच्छेद भारत की संसद को किसी भी राज्य से एक क्षेत्र को अलग करके केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अनुमति देता है।
अनुच्छेद 370 की माँग शेख ने उठाई, प्रधानमंत्री नेहरू का मिला समर्थन
अनुच्छेद 370 से जम्मू कश्मीर को पूरी तरह आजादी मिल गई है। जम्मू-कश्मीर पर इसे थोपने का षड्यंत्र शेख अब्दुल्ला और नेहरू ने किया था। अनुच्छेद 370 को लागू करने के लिए शेख अब्दुल्ला ने सबसे पहले माँग की थी। उन्होंने इस मामले में 3 जनवरी 1949 को सरदार पटेल को एक पत्र लिखा। सरदार पटेल ने इसे मानने से साफ इनकार कर दिया। जब सरदार पटेल के सामने शेख अब्दुल्ला की नहीं चली तो उन्होंने यही प्रस्ताव पंडित नेहरू के सामने रखा।
शेख अब्दुल्ला की जम्मू-कश्मीर को विभाजित करने का षड्यंत्र
शेख अब्दुल्ला ने 14 अप्रैल 1949 को स्कॉट्समैन के पत्रकार माइकल डेविडसन को इंटरव्यू देकर जम्मू-कश्मीर के विभाजन की माँग की। इसके बाद पंडित नेहरू ने सरदार पटेल पर शेख की बातों को मानने का दबाव बनाया लेकिन जब सरदार पटेल असरदार बने रहे तो मई 1949 में पंडित नेहरू जम्मू कश्मीर चले गए और शेख अब्दुल्ला के साथ कई सारे समझौते किए। इसकी भनक तक सरदार पटेल को नहीं लगी।