उत्तर कोरिया ने पूर्वी सागर में बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है. यह उत्तर कोरिया की अब तक की सबसे विकसित और ताकतवर इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) बताई जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह 15,000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर सकती है. इस बार टेस्ट की गई मिसाइल सॉलिड फ्यूल पर आधारित है, जिसका नाम Hwasong-18 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है.
उत्तर कोरिया में Hwasong-18 मिसाइल का इस साल का तीसरा परिक्षण है. इसकी टेस्टिंग अप्रेल और जुलाई में भी हुई थी. इसकी खास बात है इसका एडवांस्ड सॉलिड फ्यूल सिस्टम. आइए जानते हैं कि सॉलिड फ्यूल क्या होता है और ये लिक्विड फ्यूल से कितना बेहतर होता है.
क्या लिक्विड से बेहतर है सॉलिड फ्यूल मिसाइल?
लिक्विड फ्यूल की तुलना में सॉलिड फ्यूल वाली मिसाइल काफी बेहतर साबित हुई हैं. इनमें लाॅन्च से तुरंत पहले ईंधन भरने की जरूरत नहीं पड़ती. ये चलाने और ऑपरेट करने में लिक्विड फ्यूल की तुलना में आसान और सुरक्षित होती है.अपने नाम के अनुरूप, सॉलिड फ्यूल वो ईधन होते हैं जो ठोस अवस्था में होते हैं. यह ईंधन और ऑक्सीडाइज़र का मिश्रण होता है. मैटेलिक पाउडर जैसे एल्युमिनियम इसमें ईंधन का काम करता है. वहीं अमोनियम परक्लोरेट का इस्तेमाल आमतौर पर ऑक्सीडाइज़र के लिए किया जाता है.
जब सॉलिड फ्यूल जलाया जाता है तब इस मिश्रण से भारी मात्रा में एनर्जी और तापमान पैदा होता है जिसके बनने वाले प्रेशर से मिसाइल को लॉन्च पैड से ऊपर उठाया जाता है. सॉलिड फ्यूल का एक फायदा यह भी होता है कि ये बहुत तेजी से जलता है, जिससे कम समय में जोर पैदा होता है.इसमें ज्यादा सैन्य सहायता की जरूरत भी नहीं पड़ती. इन मिसाइलों को डिटेक्ट कर पाना मुश्किल हो जाता है.
लाॅन्च में ज्यादा जोर पैदा करने के मामले में लिक्विड फ्यूल यकीनन सॉलिड फ्यूल से बेहतर होता है. लेकिन लिक्विड फ्यूल में काफी जटिल तकनीक की जरूरत होती है. इसके अलावा इनमें अतिरिक्त भार की आवश्यकता भी होती है. लिक्विड फ्यूल रखे-रखे खराब होने लगता है. वहीं, सॉलिड फ्यूल मिसाइलों को आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है और ज्यादा समय तक स्टोर भी किया जा सकता है.
कितना पुराना है सॉलिड फ्यूल सिस्टम?
सॉलिड फ्यूल का इतिहास काफी पुराना है. पहले चीन के लोग इसका इस्तेमाल आतिशबाजी में करते थे. 20वीं सदी के मध्य में अमेरिका ने इस फ्यूल को और बेहतर करके ताकतवर प्रोपेलेंट विकसित किया. सोवियत संघ ने 1970 के दशक की शुरुआत में अपनी पहली सॉलिड फ्यूल मिसाइल लॉन्च की थी. फ्रांस और चीन भी सॉलिड फ्यूल इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल से लैस बताए जाते हैं. दक्षिण कोरिया का कहना है कि उसने भी “कुशल और उन्नत” सॉलिड फ्यूल बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक हासिल कर ली है.
बैलिस्टिक मिसाइल को पूर्वी सागर की तरफ दागने के संबंध में अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया की निंदा की है. जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फ़ुमिओ ने इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन बताया है. यह भी रेखांकित किया गया कि इसकी वजह से कोरियन प्रायद्वीप की सुरक्षा घटी है.