दिल्ली की आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को तगड़ा झटका लगा है. दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को राज्यसभा सांसद संजय सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने 12 दिसंबर को याचिका पर सुनवाई की थी. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 21 दिसंबर के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके बाद 21 दिसंबर को भी सुनवाई टल गई थी. जिसके बाद कोर्ट ने आज याचिका को खारिज कर दिया है.
दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी ने आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को 4 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन्होंने गिरफ्तारी को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां से उन्हें राहत नहीं मिली थी उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था. इसके बाद संजय सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. तब कोर्ट ने कहा है कि आप नेता अंतरिम जमान के लिए याचिका दायर कर सकते हैं.
इसके बाद मामला जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच के सामने पहुंचा था. बेंच ने मामले को फरवरी 2024 के लिए लिस्ट कर दिया है. दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी के कई नेता पहले से ही सलाखों के पीछे हैं. इनमें दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन भी शामिल हैं. शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को झटका देते हुए न्यायिक हिरासत की अवधि को 19 जनवरी तक के लिए बढ़ा दी है.
ईडी ने चार्जशीट में जोड़ा था संजय सिंह का नाम
मामले की जांच कर रही ईडी ने इस साल जनवरी में अपनी चार्जशीट में आप सांसद संजय सिंह का नाम जोड़ा था. चार्जशीट में नाम जोड़े जाने के बाद संजय सिंह ने काफी हंगामा मचाया और दावा किया था कि केंद्र सरकार आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ बदले के भावना से कार्रवाई कर रही है.
संजय सिंह ने यह भी आरोप लगाया था कि ईडी ने अपनी चार्जशीट में गलती से उनका नाम जोड़ दिया है. हालांकि, इस पर ईडी ने सफाई देते हुए कहा कि चार्जशीट में संजय सिंह के नाम का जिक्र चार जगह है. इनमें से तीन जगह उनका नाम सही लिखा है और एक जगह टाइपिंग की गलती हो गई थी.
पार्टी के तीन नेता सलाखों के पीछे
इस मामले में पहले से गिरफ्तार आम आदमी पार्टी के दो नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई है. फिलहाल पार्टी के तीनों नेता तिहाड़ जेल में बंद हैं. दूसरी ओर ईडी अभी भी इस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है. ईडी की जांच के रडार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी आ गए हैं. ईडी ने उन्हें समन जारी करते हुए 21 दिसंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था. हालांकि, केजरीवाल नोटिस को नजरअंदाज करते हुए पूछताछ में शामिल नहीं हुए.
संजय सिंह के वकील की दलील
सुनवाई के दौरान संजय सिंह की ओर से पेश वकील मोहित माथुर ने दलील दी कि इस मामले में उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है. 4 अक्टुबर को उनकी गिरफ्तारी से पहले ED ने कभी उनसे पूछताछ नहीं की. यही नहीं, इससे पहले दाखिल चार्जशीट में कहीं भी उनकी कोई भूमिका का ज़िक्र जांच एजेंसी ने नहीं किया. वकील ने दलील दी कि सरकारी गवाह बने जिस दिनेश अरोड़ा के बयान को उनकी गिरफ्तारी का आधार बताया जा रहा है, उसकी विश्वसनीयता ख़ुद सवालों के घेरे में है. उसके बयान इस केस में बाकी गवाहों से मेल नहीं खाते.
संजय सिंह के वकील का कहना था कि उनकी समाज में गहरी प्रतिष्ठा है. वो ट्रायल के दौरान देश छोड़कर भागने वाले नहीं है. कभी किसी गवाह को प्रभावित करने का आरोप भी उन पट नहीं लगा है. इस केस में चार्जशीट दायर हो चुकी है, लिहाजा अब न्यायिक हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं बनता.
ED ने ज़मानत अर्जी का विरोध किया
वही दूसरी ओर ED ने संजय सिंह की ज़मानत अर्जी का किया.ED की ओर पेश वकील ने दलील दी कि सजंय सिंह इस घोटाले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है. वो नई शराब नीति के एवज में कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचकर उनसे रिश्वत हासिल करने की साजिश में शामिल रहे हैं. ED ने आरोप लगाया कि सजंय सिंह को 2 करोड़ की रिश्वत मिली है.ये दो करोड़ की रकम उनके घर पर दो बार अलग अलग पहुंचाई गई.
वकील ने दलील दी कि इस मामले में जांच अभी भी जारी है और अगर संजय सिंह को जमानत मिलती है तो ऐसी सूरत में वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं , सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं. इसके चलते जांच प्रभावित हो सकती है.