इंडिया गठबंधन की चार बैठकें अभी तक हो चुकी हैं. इन बैठकों में अभी तक सीट शेयरिंग और संयोजक पद को लेकर किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया है. अब अगामी बैठक 3 जनवरी को होने जा रही है. 28 विपक्षी दलों से बना इंडिया गठबंधन के बड़े नेता 3 जनवरी को ऑनलाइन बैठक करेंगे. गठबंधन में नीतीश कुमार को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस समेत कुछ दलों के नेता और नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का प्रस्ताव रख सकते हैं. नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन के सूत्रधार के तौर पर भी देखा जाता है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए नीतीश कुमार ने देशभर में भ्रमण कर विपक्षी दलों को एकजुट किया था. नीतीश कुमार की इस अपील पर 28 दल गठबंधन में शामिल हुए थे.
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस ने सभी विपक्षी दलों से नीतीश कुमार के नाम पर सहमति ले ली है. इसमें आरजेडी, समाजवादी पार्टी, एनसीपी, शिवसेना-यूबीटी समेत दक्षिण भारत के कई दलों ने नीतीश कुमार के नाम पर सहमति जताई है. ऑनलाइन होने वाली बैठक में में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कांग्रेस के कई बड़े नेता शामिल होंगे. इंडिया गठबंधन के प्रमुख घटक दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी इस बैठक से जुड़ सकते हैं.
हाल ही में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं नीतीश कुमार
बता दें कि पिछले हफ्ते दिल्ली में जेडीयू कार्यकारिणी परिषद की बैठक में नीतीश कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. ललन सिंह के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार के हाथ में पार्टी की कमान सौंपी गई है. लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार को पार्टी में नई जिम्मेदारी मिली है और अब गठबंधन के संयोजक बनाने की कवायद शुरू हो गई है. हालांकि, किसी भी पार्टी ने अभी नीतीश कुमार के नाम को लेकर खुलकर ऐलान नहीं किया है. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि पार्टी की होने वाली अगली ऑनलाइन बैठक में नीतीश कुमार के नाम का ऐलान किया जाएगा. इंडिया गठबंधन की पहली बैठक पटना, फिर बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली में आयोजित की गई थी.
नीतीश कुमार की पार्टी के नेताओं का शिगूफा
दरअसल नीतीश कुमार यह देख रहे हैं कि इंडिया गठबंधन में जितने भी नेता हैं उनमें उनकी संभावना राष्ट्रीय फलक पर सबसे ज्यादा है. उसकी वजह उनका विशाल राजनीतिक अनुभव ,पार्टी पर मजबूत पकड़ ,पिछड़े वर्ग से आना, एक राज्य के मुख्यमंत्री का पद और गठबंधन के बाकी दलों के मुकाबले उनकी स्वीकार्यता है. ये स्वीकार्यता ममता या अखिलेश के लिए नहीं दिखती. कांग्रेस भी उनके नाम पर सकारात्मक दिखती है. इन्हीं वजहों से उनकी पार्टी के नेताओं ने संयोजक पद का शिगूफा छेड़ना शुरू कर दिया है.
चुनाव लड़ने और बनारस में रैली की हुई थी चर्चा
नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री पद पर नजर अरसे से है पिछले दिनों खबर आई थी कि वह उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ सकते हैं. यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट की चर्चा भी हुई थी इसके अलावा वह उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में रैली भी करने वाले थे हालांकि रैली का कार्यक्रम बाद में टाल दिया गया. इन सब संकेतों से साफ है कि वह प्रधानमंत्री मोदी से लड़ते हुए देखना तो चाहते हैं और इसी सहारे विपक्ष के गठबंधन का चेहरा भी बनना चाहते हैं.
ममता के प्रस्ताव का 12 दलों ने किया समर्थन
बता दें कि दिल्ली में आयोजित हुई गठबंधन की बैठक में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम फेस का उम्मीदवार घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. अरविंद केजरीवाल समेत 12 दलों ने ममता के प्रस्ताव का समर्थन किया था. हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने यह कहकर बात टाल दी थी कि सभी लोगों का फोकस चुनाव जीतने पर होना चाहिए. चुनाव जीतने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा.
नीतीश कुमार की प्रेशर पॉलिटिक्स
कुछ लोग इसे नीतीश कुमार की प्रेशर पॉलिटिक्स के रूप में भी देख रहे हैं और चर्चा यह भी है कि एक बार फिर वह एनडीए के संपर्क में है. यानी इंडिया गठबंधन पर दबाव बनाने के लिए एनडीए गठबंधन ज्वाइन करने का संकेत भी उनके लोग दे रहे हैं. सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार की प्रेशर पॉलिटिक्स के सामने ममता बनर्जी शरद पवार अखिलेश यादव जैसे नेता सरेंडर कर जाएंगे? नीतीश कुमार कभी अपने नेता रहे जॉर्ज फर्नांडिस के नक्शे कदम पर चलकर विपक्षी गठबंधन का चेहरा बनना चाहते हैं लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपने आसपास के करीबी नेताओं को इतिहास में किनारे लगाया है उससे विपक्ष के कई नेता उनसे सतर्क भी रहते हैं.