22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में बने भव्य और दिव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। 18 जनवरी को रामजन्मभूमि पर प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान और पूजन की शुरुआत हो जाएगी। भगवान राम के भव्य और दिव्य मंदिर में इस अनुष्ठान के लिए काशी ने अपनी भूमिका निभाना शुरू कर दिया है। यजमान के रूप में जहां काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान रामलला का विराजमान कराएंगे। वहीं, प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त का समय काशी के ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री ने निकाला है। यही नहीं, अनुष्ठान कराने वाले ब्राह्मण और आचार्य काशी से हैं तो यज्ञ कुण्ड की पूजन सामग्री भी काशी से अयोध्या भेजी जा रही है।
1008 छिद्रों वाले इस घड़े को भी काशी के हुनरमंद कारीगरों ने हफ्तों की मेहनत से तैयार किया है. इसके अलावा 121 पुजारियों के लिए 125 सेट पूजन पात्र भी तैयार हो चुके हैं. प्रत्येक सेट कमंडल या लुटिया, आचमनी, तष्टा यानी छोटी तश्तरी को भी तैयार करके फिनिशिंग की जा रही है.
काशी के कारोबारियों को मिला 5 लाख कलश का ऑर्डर
अब काशी के योगदान में एक और कड़ी जुड़ने जा रही है। दरसअल, 22 जनवरी को जब भगवान राम गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे तो उसके बाद प्रभु श्रीराम का अभिषेक सहस्त्र कलश से किया जाएगा। इस ऐतिहासिक अनुष्ठान में मौजूद 121 ब्राह्मण जिन जर्मन सिल्वर के पात्रों में जल लेने के साथ ही भगवान की आचमनी करेंगे जिस श्रृंगी का इस्तेमाल अभिषेक के लिए किया जाएगा वह सब कुछ वाराणसी की तंग गलियों में बन कर तैयार हो रहा है। अयोध्या के लिए 5 लाख कलश का ऑर्डर काशी के कारोबारियों को मिला है। कुल मिलाकर करीब 2 हजार करोड़ के कारोबार होने का अनुमान लगाया गया है।
तैयारी में जुटा कसेरा परिवार
कसेरा परिवार 24 घंटे की कड़ी मेहनत के साथ अपनी टीम के साथ तैयारी में जुटा है। वाराणसी के काशीपुरा निवासी लालू कसेरा अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी है जो तमाम धातुओं से मंदिर में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों के साथ-साथ मंदिर के गर्भगृह में लगने वाली धातुओं पर अपनी शिल्पकारी का हुनर दिखाते हुए उसे भव्य रूप देते हैं। ऐसे में अब इन्हें इतिहास का गवाह बनने का मौका मिला है तो वह भला क्यों पीछे हटने वाले है।
इस खास कलश से होगा भगवान श्रीराम का जलाभिषेक
पिछले 20 दिसंबर को लालू कसेरा को ऑर्डर मिला कि उन्हें अयोध्या में रामजन्मभूमि पर बनने वाले रामलला के मन्दिर में अनुष्ठान के लिए 125 कमण्डल ,आचमनी पात्र और एक कटोरे जैसा पात्र बनाना है इसके साथ ही एक अभिषेक कलश भी बना कर तैयार करना है जिसे सहस्त्र कलश कहते है। इस कलश में 1008 छिद्र होते हैं। इसी सहस्त्र कलश से प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्री राम का अभिषेक किया जाएगा। इस ऑर्डर के बाद यह कसेरा परिवार 24 घंटे कड़ी मेहनत कर तैयारियों में जुट गया है। जर्मन सिल्वर से बने पात्र कुछ तैयार हो चुके हैं तो कुछ पर अभी काम चल रहा है जो आने वाली 10 जनवरी को अयोध्या भेज दिया जाएगा।
लालू कसेरा बताते है कि यह सभी बर्तन बनाने में उन्हें करीब एक महीने का समय लगा है। बहरहाल काशी का यह परिवार रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के इस महाउत्सव में शामिल होकर अपने को गौरवान्ति महसूस रहा है।
कैसे किया गया निर्माण?
खास बातचीत में लालू कशेरा बताते हैं कि घड़े को व्हाइट मेटल को तराशकर बनाया गया है, फिर इसमें 1008 छिद्र मशीन के जरिये किए गए हैं. ये घड़ा रामलला के अभिषेक के लिए सिर्फ एक पीस ही तैयार हुआ है. उन्होंने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले कर्मकांडी विद्वान गुरूजी लक्ष्मीकांत दीक्षित के आर्डर पर यह घड़ा तैयार किया है.
लालू ने आगे बताया कि पूरा घड़ा हाथ से तैयार होता है और फिर भट्टी में इसे तपाया गया है. पॉलिश बाहर कराना पड़ता है. घड़े के ऊपर से पानी का प्रवाह लगातार पंप से या फिर किसी तरह से रहेगा तभी यह काम करेगा.
121 पुजारियों के लिए व्हाइट मेटल में तैयार किए गए पूजन पात्र के 125 सेट के बारे में लालू ने बताया कि सेट में एक छोटा कमंडल है जिसे झारी या लुटिया कहते हैं. इसका उपयोग मंत्रोच्चार के वक्त होता है. चम्मच जैसी आकृति वाला अर्घ्यी और प्लेटनुमा पात्र को तष्टा कहते हैं. उन्होंने बताया एक श्रृंगी भी तैयार किया गया है, जिसका उपयोग रुद्राभिषेक के वक्त होता है.