बीते साल आठ दिसंबर को टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की सांसदी गई थी, उसके बाद से मानो उनके दिन ही खराब चल रहे हैं. संसद से निष्कासित होने के बाद महुआ को उनके सरकारी आवास को खाली करने के लिए नोटिस भेजा गया है. यह नोटिस उन्हें शहरी विकास मंत्रालय के तहत Directorate of Estates ने भेजा था. नोटिस में पूछा गया कि संसद सदस्यता खत्म होने के एक महीना पूरा होने के बाद भी सरकारी आवास खाली क्यों नहीं किया. लोकसभा से निष्कासित तृणमूल कांग्रेस नेता ने सरकारी आवास रद्द करने और सात जनवरी 2024 तक इसे खाली करने के आदेश के विरुद्ध दाखिल याचिका को बृहस्पतिवार को वापस ले लिया था. आदेश के तहत मोइत्रा का सरकारी आवास 14 दिसंबर से रद्द कर दिया गया था. उन्हें सात जनवरी 2024 तक इसे खाली करने का निर्देश दिया गया था.
महुआ ने दायर की थी याचिका
मोइत्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में घर खाली कराने के फैसले के खिलाफ दायर अपनी याचिका वापस ले ली थी. दरअसल, मोइत्रा ने याचिका में दिल्ली में सांसद के तौर पर केंद्र सरकार द्वारा आवंटित बंगला खाली करने के आदेश को चुनौती दी थी. महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में कहा थी कि वह लोकसभा चुनाव 2024 तक आवास में रहने की अनुमति देने के लिए संपदा निदेशक से संपर्क करेंगी. हालांकि उन्हें अब नोटिस का जवाब देना होगा.
कब तक खाली करना होता है सरकारी आवास?
टीएमसी नेता महुआ को टेलीग्राफ लेन पर अपना सरकारी बंगला मिला था. कानून के हिसाब से संसद सदस्यता जाने के एक महीना तक ही सरकारी आवास रख सकते हैं. संशोधित अधिनियम के अनुसार संपदा अधिकारी सरकारी आवास से अनधिकृत लोगों की बेदखली से पहले 3 दिन का कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है. इससे पहले यह अवधि 60 दिन की थी.
सरकारी बंगला खाली करने के निर्देश को दी थी चुनौती
लोकसभा से निष्कासन के बाद आवंटन रद्द होने के कारण 7 जनवरी तक सरकारी बंगला खाली करने के निर्देश को महुआ मोइत्रा ने चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुब्रमण्यन प्रसाद ने कहा कि नियमों के मुताबिक असाधारण परिस्थितियों में अधिकारी शुल्क का भुगतान कर व्यक्ति को 6 महीने तक रहने की अनुमति दे सकते हैं.
कोर्ट ने मोइत्रा को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी और कहा कि उसने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है. इसमें कहा गया कि संपदा निदेशालय अपने विवेक से इस मामले में फैसला करेगा.
संसद से निष्कासित हुई थी महुआ
दरअसल संसद की आचार समिति ने पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश कर की, जिस पर लोकसभा में चर्चा के बाद महुआ मोइत्रा को संसद सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया था. महुआ मोइत्रा पर आरोप थे कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के बदले कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से गिफ्ट लिए थे. जिसमें टीएमसी सांसद के हीरानंदानी से कार और दो करोड़ रुपये की नकदी लेना भी शामिल था. हालांकि, महुआ ने पैसे के लेन-देन की बात से साफ इंकार कर दिया था. मोइत्रा पर यह भी आरोप थे कि उन्होंने अपनी संसद की लोग इन आईडी और पासवर्ड हीरानंदानी से साझा किया था.