भारतीय नौसेना ने अरब सागर में 10 से ज्यादा युद्धपोतों की तैनाती की है. इसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर नौसेना ने अरब सागर में इतने युद्धपोतों को क्यों तैनात किया है? अरब सागर में इतनी बड़ी संख्या में युद्धपोतों को समुद्र में तैनात करने की पीछे की वजह हाल ही में सोमालिया के तट पर एक जहाज को हाईजैक करने की कोशिश बताया जा रहा है. इस जहाज को समुद्री लुटेरों ने हाईजैक करने की कोशिश की थी. जिसपर 21 क्रू मेंबर्स सवार थे. इनमें 15 भारतीय नागरिक भी शामिल थे. इस घटना के बाद नौसेना ने अपने मिशन को और तेज कर दिया है.
जिससे अरब सागर में ड्रोन हमलों और समुद्री डकैतों को रोका जा सके. भारत ने उत्तर और मध्य अरब सागर से लेकर अदन की खाड़ी तक फैले इलाके में 10 से ज्यादा युद्धपोतों को तैनात किया है. जिनमें समुद्री कमांडो की तैनाती की गई है. टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की ओर से उन्नत समुद्री सुरक्षा अभियान को स्वतंत्र रूप से संचालित किए जा रहा है. वहीं दिसंबर में लाल सागर में शुरू किए गए अमेरिकी नेतृत्व वाले बहुराष्ट्रीय ‘ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन’ भी भारत को खुद को अलग कर लिया है. बता दें कि यमन के हूती विद्रोहियों के नागरिक और सैन्य जहाजों को निशाना बनाने की घटनाओं के बाद अमेरिका ने लाल सागर में इस ऑपरेशन को शुरु किया था.
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान लाल सागर, अदन की खाड़ी और मध्य-उत्तरी अरब सागर में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों के साथ होने वाली समुद्री सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। बीते दिनों भारतीय तट से लगभग 700 समुद्री मील दूर एमवी रुएन पर समुद्री डकैती की घटना हुई, वहीं पोरबंदर से लगभग 220 समुद्री मील दक्षिण पश्चिम में एमवी केम प्लूटो पर हाल ही में ड्रोन हमला हुआ। यह भारतीय ईईजेड के निकट होने वाली समुद्री घटनाओं में बदलाव का संकेत देते हैं। नौसेना ने अब यहां विध्वंसक और युद्धपोत को तैनात किया है। समुद्री गश्ती विमानों से हवाई निगरानी को बढ़ाया गया है।
नौसेना ने इन युद्धपोतों को किया तैनात
बता दें कि इससे पहले भारतीय नौसेना ने आईएनएस कोच्चि, आईएनएस कोलकाता, आईएनएस मोरमुगाओ के साथ आईएनएस चेन्नई और मल्टी-रोल फ्रिगेट आईएनएस तलवार और आईएनएस तरकश को तैनात समुद्र में तैनात किया था. इनके अलावा समुद्री निगरानी और सुरक्षा के लिए डोर्नियर और हेलीकॉप्टरों की भी तैनाती की गई थी. बता दें कि भारतीय नौसेना भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र की प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए तटरक्षक बल के साथ मिलकर काम कर रही है. नौसेना अपनी समुद्री सीमा के साथ-साथ बाहर के क्षेत्र यानी इंडियन एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन के प्रभावी सर्विलांस के लिए कोस्ट गार्ड के साथ मिलकर काम कर रही है.
समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना चाहता है भारत
भारत लगातार अपनी सीमाओं को सुरक्षित कर रहा है. फिर चाहे वह स्थल सीमा हो या फिर जल सीमा. अरब सागर में बड़ी संख्या में युद्धपोतों की तैतानी करना भी इसी का हिस्सा है. जिससे समुद्री डकैतों और ड्रोन हमलों से भारतीय जहाजों को बचाया जा सके. भारत समंदर में निगरानी के लिए प्रीडेटर का भी इस्तेमाल कर रहा है. भारत ने पहले से ही लंबी दूरी के पी-8आई समुद्री गश्ती विमान और समुद्री संरक्षक ड्रोन की तैनाती की है. साथ ही खुफिया, निगरानी और टोही मिशन भी चलाए जा रहे हैं. जो नौसेना के अधिकारियों को निरीक्षण और अध्ययन के लिए उच्च-रिजॉल्यूशन लाइव फीड देते हैं.