प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नासिक में आज फिर देशवासियों को देश के सभी मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों की साफ सफाई का संदेश दिया. राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर नासिक में युवाओं के कार्यक्रम को संबोधित करने से पहले प्रधानमंत्री मोदी गोदावरी के पंचवटी क्षेत्र स्थित श्री कालाराम मंदिर पहुंचे. प्रधानमंत्री मोदी ने यहां पूजा-अर्चना की और अनुष्ठान में हिस्सा लिया.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान श्री कालाराम मंदिर के प्रांगण में खुद ही एक हाथ में बाल्टी और दूसरे हाथ में पोछा लेकर यहां सफाई की. इस श्रमदान के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर स्वच्छता अभियान चलाने का का मैसेज दिया है.
मंदिरों में सफाई अभियान की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने इसके बाद जब युवाओं को संबोधित किया तो उन्होंने एक बार फिर से 22 जनवरी तक देश के सभी मंदिरों के भीतर सफाई अभियान चलाने का जोर दिया है. उन्होेंने कहा कि आज मुझे श्री कालाराम मंदिर में दर्शन करने और साफ सफाई करने का सौभाग्य मिला. उन्होंने कहा कि मैं आप सबसे भी अपील करता हूं कि आप भी अपने शहर, इलाके के मंदिरों की सफाई करें. अपना अपना श्रमदान दें.
प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर में मंजीरे भी बजाये
नासिक को महाराष्ट्र का काशी कहा जाता है. यहां के मंदिर देश भर में प्रसिद्ध हैं. प्रधानमंत्री मोदी जब श्री कालाराम मंदिर पहुंचे तो पूजा अर्चना करने के बाद पुरोहितों के साथ भी वक्त बिताया. यहां उन्होंने भजन कीर्तन में हिस्सा लिया और पुरोहितों के साथ पूरे भक्ति भाव में जमकर मंजीरे भी बजाये. प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान राम भक्ति में रमे हुए नजर आए.
#WATCH | PM Modi took part in 'Swachhata Abhiyan' today at the Kalaram temple in Maharashtra's Nashik
The PM had also appealed to everyone to carry out Swachhata activities at temples across the country. pic.twitter.com/80C9nXRCI1
— ANI (@ANI) January 12, 2024
2000 साल पुराना है मंदिर
नासिक का कालाराम मंदिर भगवान राम की 2000 साल पुराना मंदिर है। कालाराम मंदिर का जीणोद्धार साल 1788 को हुआ था जबकि इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकुट काल के 7वीं से 11वीं शताब्दी के मध्य हुआ था। यह मंदिर गोदावरी नदी के किनारे उत्तर नासिक में स्थित है। इस मंदिर की खास बात यह कि यहां गर्भ गृह में भगवान राम की मूर्ति काले पत्थर की है। बता दें कि नासिक में यह मंदिर जहां स्थित है, उस जगह को “पंचवटी” कहा जाता है, यह मान्यता है कि भगवान राम 14 साल के वनवास के दौरान 10 साल पूरा होने के बाद ढाई साल करीब इसी गोदावरी तट पर ठहरे थे।