कर्नाटक विधानसभा सीट की महत्वपूर्ण सीटों में शुमार चन्नापटना सीट से जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी ने जीत हासिल की है. भाजपा उम्मीदवार सीपी योगेश्वर को यहां हार का सामना करना पड़ा है.इस सीट पर 2018 में जेडीएस के कुमारस्वामी ने जीत हासिल की थी. इस बार यहां दोनों ही उम्मीदवारों के भी कड़े मुकाबले के कयास लगाए जा रहे थे.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने अपने लिए ये सीट चुनी थी. उन्हें भाजपा नेता सीपी योगेश्वर से कड़ी चुनौती मिल रही थी. इस बार भी दोनों उम्मीदवारों के बीच ही यहां प्रमुख मुकाबले की बात कही जा रही थी. चुनाव परिणाम में भी ये साफ नजर आया है.
चन्नापटना सीट मूल तौर पर सीपी योगेश्वर की मानी जाती है. 1999 से लेकर 2008 तक इस सीट पर वह कांग्रेस के टिकट पर जीते, 2009 में वह ऑपरेशन लोटस के तहत भाजपा में शामिल हुए, लेकिन उपचुनाव में उन्हें जेडीएस उम्मीदवार ने हराया. इसके बाद सीपी योगेश्वर ने 2011 मे एक बार फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और इस सीट पर जीत हासिल की. खास बात ये है कि सीपी योगेश्वर ने 2013 समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और कुमारस्वामी की पत्नी अनीता कुमारस्वामी को हराया. उस चुनाव में अनीता कुमार स्वामी को महज 73 हजार वोट मिले थे जबकि सीपी योगेश्वर ने 80 हजार से ज्यादा मत पाए थे.
2013 में पत्नी की हार का बदला लेने के लिए 2018 में जेडीएस प्रमुख कुमार स्वामी खुद मैदान में उतरे थे. इस चुनाव में सीपी योगेश्वर को हार का सामना करना पड़ा था. उन्हें महज 66 हजार वोट मिले थे, जबकि कुमारस्वामी ने 87,995 वोट पाए थे.
जेडीएस प्रमुख कुमारस्वामी ने 2018 में जानबूझकर रामनगर जिले की चन्नापटना सीट को चुना था. ऐसा कहा जाता है कि कुमारस्वामी ने योगेश्वर की राजनीति का विराम लगाने के लिए ही इस सीट को चुना था. इस सीट पर तकरीबन 2 लाख 17 हजार मतदाता है. खास बात ये है कि यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या तकरीबन 46 प्रतिशत है.
चन्नापटना सीट पर कांग्रेस ने गंगाधर एस और आम आदमी पार्टी ने शरतचंद्र को उम्मीदवार बनाया है. यह सीट बेंगलुरु ग्रामीण संसदीय सीट के तहत आती है. सांसदी की बात करें तो यहां के सांसद डीके सुरेश हैं, जिन्होंने भाजपा के अश्वत नारायण गौड़ा को बड़े अंतर से हराया था. पिछले बीर कांग्रेस ने यहां एच रेवन्ना को टिकट दिया था जो तीसरे नंबर पर रहे थे.