स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को भारत सरकार ने यूएपीए के तहत 5 साल की अवधि के लिए ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित कर दिया है। गृह मंत्रालय के एक आदेश में ये जानकारी सामने आई है। बता दें कि देश में कई आतंकी गतिविधियों में शामिल होने और अन्य आतंकी संगठनों के साथ संबंध होने के चलते भारत सरकार ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को गैरकानूनी संघ घोषित किया है।
इसको लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंक को कतई बर्दाश्त नहीं करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को मजबूत करते हुए, सिमी को यूएपीए के तहत 5 साल के लिए ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया है।
1977 में हुई थी संगठन की स्थापना
कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि यह संगठन देश में इस्लामिक जिहाद फैलाने के कृत्य में संलिप्त है। बता दें कि यह सिमी एक प्रतिबंधित इस्लामिक छात्र संगठन है। संगठन की स्थापना 25 अप्रैल 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुई थी।
साल 2001 में पहली बार सिमी को आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण प्रतिबंधित किया गया। इसके बाद 2008 में संगठन से कुछ दिन के लिए बैन हटाया गया। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर संगठन पर उसी साल फिर से बैन लगा दिया गया।
‘Students Islamic Movement of India (SIMI)’ declared as an 'Unlawful Association' for a further period of five years under the UAPA: Home Minister's Office pic.twitter.com/LqIYemvM6F
— ANI (@ANI) January 29, 2024
पिछली साल सुप्रीम कोर्ट भी गया था सिमी
बता दें कि पिछले साल भी सिमी पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगाया था जिसके खिलाफ स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि तब सिमी पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ याचिकाओं पर कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अभी संविधान पीठ में अनुच्छेद 370 पर सुनवाई शुरू हो रही है, जब इस पर सुनवाई खत्म हो जाए तो इन सब पर विचार किया जाएगा।
“भारत में स्थापित करना चहता है इस्लामी शासन”
पिछले साल जुलाई में केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा था कि भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के सिमी के मकसद को पूरा नहीं होने दिया जा सकता। सरकार ने कहा था कि प्रतिबंधित संगठन के सदस्य अब भी विघटनकारी गतिविधियों में शामिल हैं, जो देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डाल सकती हैं। सर्वोच्च न्यायालय में दायर जवाबी हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि सिमी के सदस्य अन्य देशों में मौजूद अपने सहयोगियों और आकाओं के ‘लगातार संपर्क’ में हैं और उनकी गतिविधियां भारत में शांति एवं सांप्रदायिक सौहार्द में खलल डाल सकती हैं। सरकार ने यह भी कहा था कि सिमी का उद्देश्य भारत में इस्लाम के प्रचार-प्रसार और ‘जिहाद’ के लिए छात्रों एवं युवाओं का समर्थन हासिल करना है।